मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और केन्द्रीय ऊर्जा तथा आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आज हिमाचल प्रदेश से संबंधित ऊर्जा एवं आवास के विभिन्न मामलों पर विचार-विमर्श के लिए आयोजित बैठक में भाग लिया। बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश सरकार की ऊर्जा नीति के अनुरूप रॉयल्टी का मामला उठाया। उन्होंने नीति की रूपरेखा की जानकारी देते हुए बताया कि इसके तहत विद्युत परियोजनाओं में पहले 12 वर्षों के लिए 12 प्रतिशत, इसके उपरांत 18 वर्षों के लिए 18 प्रतिशत तथा आगामी 10 वर्षों के लिए 30 प्रतिशत रॉयल्टी की अनिवार्यता की गई है। उन्होंने कहा कि निजी कंपनियां पहले से इस नीति का अनुसरण कर रही है और केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को भी इसकी अनुपालना करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड प्रदेश की ऊर्जा नीति की अनुपालना नहीं करती है तब इस स्थिति में हिमाचल प्रदेश सरकार 210 मेगावाट लुहरी चरण-1, 382 मेगावाट सुन्नी परियोजना और 66 मेगावाट धौलासिद्ध जल विद्युत परियोजना को अपने अधीन लेने के लिए तैयार हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इन परियोजनाओं पर हुए खर्च प्रतिपूर्ति एसजेवीएनएल को देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि एसजेवीएनएल ने कार्यान्वयन समझौता हस्ताक्षरित किए बिना इन परियोजनाओं का निर्माण शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोगों को राज्य के जल संसाधनों पर उचित हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। इस मामले पर केन्द्रीय मंत्री ने निगम के अधिकारियों को 15 जनवरी, 2025 तक अन्तिम प्रतिक्रिया देने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने मंडी जिले की 110 मेगावाट शानन परियोजना का पंजाब से अधिग्रहण सुनिश्चित करने में केन्द्र सरकार की सहायता के लिए आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस परियोजना की लीज अवधि समाप्त हो गई है। उन्होंने केन्द्र सरकार से हिमाचल प्रदेश को इस परियोजना का हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि शानन परियोजना का क्षेत्र कभी भी पंजाब का हिस्सा नहीं रहा है इसलिए यह परियोजना पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के अधीन नहीं आती है। इस मामले पर केन्द्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि वे इस अधिनियम की समीक्षा कर इसके अनुसार कार्रवाई करना सुनिश्चत करेंगे