हुड्डा ने क्यों कहा किसानों को घाटे में धकेलना चाहती है बीजेपी

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि बीजेपी तय नीति के तहत किसानों को घाटे में धकेल रही है। इसलिए उसने धान के निर्यात पर रोक लगाई है और बासमती पर भारी भरकम 20 प्रतिशत निर्यात ड्यूटी थोप दी है। इसके चलते ना किसानों को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में ऊंचे दामों का लाभ मिल पा रहा है और ना ही व्यापारियों को। इसलिए सभी के हक में फैसला लेते हुए सरकार को धान के निर्यात पर रोक को तुरंत खत्म कर देना चाहिए और बासमती पर लगाए गए निर्यात शुल्क को भी हटा देना चाहिए। किसानों, राइस मिलर्स और आढिय़ों के प्रतिनिधिमंडलों ने हुड्डा से मुलाकात कर अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा।
उन्होंने बताया कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान किसानों को इसीलिए धान के ऊंचे रेट मिलते थे क्योंकि उस समय निर्यात पर रोक नहीं होती थी। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में ऊंचे दामों के चलते अक्सर स्थानीय बाजारों में भी धान की कीमत एमएसपी से भी ऊपर जाती थी और किसानों को खासी आमदनी होती थी। निर्यात के चलते किसानों, कारोबारियों को तो लाभ होता ही थाए साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को भी इसका फायदा मिलता था।
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लेकिन बीजेपी सरकार हर बार धान की आवक से पहले उसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा देती है। पिछले साल भी जुलाई 2023 में केंद्र सरकार ने पहले टुकड़ा चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया और उसके बाद परमल चावल के निर्यात पर रोक लगा दी। धान की आवक से ठीक पहले अगस्त माह में सरकार ने बासमती का न्यूनतम निर्यात मूल्य 950 डॉलर प्रति टन तय करके उस पर 20 निर्यात शुल्क थोप दिया। इसके चलते देश का धान गोदामों में धरा धराया रह गया। आज एक साल बाद भी स्थिति यह है कि चावल के गोदाम भरे पड़े हैं
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