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RSS ईसाइयों के साथ पहली बार मनाएगा क्रिसमस, कश्मीर से लेकर केरल तक आएंगे चर्च प्रमुख

RSS ईसाइयों के साथ पहली बार मनाएगा क्रिसमस

मनाएगा क्रिसमस संघ परिवार ईसाई समुदाय को जोड़ने की कोशिशों में जुटा है। अब पहली बार अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री जॉन बारला मेघा लय हाउस में शुक्रवार को क्रिसमस भोज की मेजबानी करेंगे।

RSS से जुड़े राष्ट्रीय ईसाई मंच के इस कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर से केरल तक के चर्च प्रमुख भाग लेंगे। RSS के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार के भी कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना है।

ये पहली बार होगा जब राष्ट्रीय ईसाई मंच की ओर से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के चर्च प्रमुखों को भी आमंत्रित किया जा रहा है, जहां पिछले कुछ समय से पादरियों, चर्चों और ईसाइयों के कुछ संस्थानों पर हमलों की घटनाएं सामने आईं हैं।

RSS की सलाह- वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा न बनें

भाजपा नेताओं का मानना है कि चर्च और चर्च प्रमुखों को भी राजनीतिक रूप से तटस्थ रहना चाहिए। ईसाई समुदाय भी यही कहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूसरी बार बड़ी जीत के बाद RSS और भाजपा के साथ दूरी रखना ठीक नहीं है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार ने चर्च प्रमुखों को ये बता दिया है कि वे वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा न बनें।

इस दिशा में RSS ने अब तक क्या कदम उठाए

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जम्मू-कश्मीर ईसाई प्रतिनिधियों को आमंत्रण देकर बड़ा दांव चला जम्मू-कश्मीर के ईसाई प्रतिनिधियों को न्योता दिया है। कश्मीर में मुस्लिम बहुल आबादी को देखते हुए इसे RSS का एक बड़ा राजनीतिक दांव भी माना जा रहा है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार जम्मू-कश्मीर की लगभग 1.25 करोड़ की आबादी में लगभग 36 हजार ईसाई हैं।

केरल 18% ईसाई वोटर भाजपा के लिए गेम चेंजर बन सकते हैं केरल की लगभग साढ़े 3 करोड़ की आबादी में लगभग 18 फीसदी ईसाई वोटर हैं। इस राज्य में भाजपा अपनी पैठ बढ़ाने के प्रयास में है। 2021 के विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को 11.3 फीसदी वोट मिले थे। जबकि 2016 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 10.53 फीसदी वोट हासिल हुए थे।

उत्तर-पूर्व 3 राज्यों में 70 फीसदी ईसाई वोटरों को साधने का प्रयास उत्तर-पूर्व के मेघा लय, नगा लैंड और मिजो रम में 70% ईसाई आबादी है। इन राज्यों में भाजपा अपने बूते सरकार बनाने के प्रयास में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में पूर्वोत्तर की सभाओं में ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस की प्रस्तावित भारत यात्रा का विशेष तौर पर उल्लेख अपने भाषण में किया था।

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