सीएम हेल्पलाइन ने मृत महिला के बयान ले लिए और रिपोर्ट में लिखा- शिकायतकर्ता संतुष्ट है, शिकायत बंद कराना चाहती है
सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की जांच करने वाले मृतक से भी बयान ले लेते हैं। पढ़ने में कुछ अजीब लग रहा होगा, लेकिन एक मामले की जांच करने वालों ने ऐसा करके दिखा दिया। हुआ यूं कि सिवनी जिले की एक महिला ने लव मैरिज की थी। शादी के बाद मायके वाले उसे प्रताड़ित करते थे। परेशान होकर उसने पीएम हेल्पलाइन में इसकी शिकायत की। बाद में खुदकुशी भी कर ली।
महिला की मौत के तीन साल बाद पीएम हेल्पलाइन ने उसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन में ट्रांसफर कर दी। इसके बाद पुलिस महिला के घर पहुंची। जब पता लगा कि महिला की मौत हो चुकी है तो पुलिस ने मामले में खात्मा लगा दिया।इधर, पीएम हेल्पलाइन और सीएम हेल्पलाइन की ओर से पुलिस रिपोर्ट के आधार पर केस बंद करते हुए लिखा गया- ‘शिकायतकर्ता की शिकायत का निराकरण कर उसको अवगत करा दिया गया है। शिकायतकर्ता संतुष्ट है। अपनी शिकायत बंद करना चाहती है।’
पिता, दो चाचा, बहन और जीजा की शिकायत, लेकिन पुलिस ने पति और सास को जेल भेजा
भाई वेलफेयर सोसाइटी के फाउंडर मेंबर जकी अहमद ने बताया कि युवती बरखा तिवारी ने प्रियंक तिवारी से 6 फरवरी 2018 को लव मैरिज की थी। बरखा के परिवार वाले इससे खुश नहीं थे। उसे परेशान करने लगे थे। बरखा ने अपनी शिकायत में अपने पिता, दो चाचा, बहन और जीजा का नाम लिखा था। बरखा ने 14 मार्च 2019 में खुदकुशी की थी। इसके बाद मायके वालों ने ससुराल वालों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना और आत्महत्या के लिए उकसाने के संबंध में शिकायत कर दी। इसके बाद पुलिस ने बरखा के पति और सास को जेल भेज दिया।
सुसाइड नोट के आधार पर नया केस दर्ज होना चाहिए
जकी अहमद ने बताया कि तीन साल बाद जिस शिकायत की जांच करने पुलिस पहुंची थी। उस केस में पुलिस ने खात्मा लगाते हुए लिखा है- युवती जांच से संतुष्ट है। वह आगे की कार्रवाई नहीं चाहती। जकी का कहना है कि पुलिस मृतक शिकायतकर्ता (बरखा) से कब और कैसे मिली। यह उनकी समझ से परे है, जबकि वे जीवित ही नहीं थीं।
इस मामले में उनकी संस्था बरखा के ससुराल वालों को विधिक सहायता दे रही है। विधि विशेषज्ञों के मुताबिक युवती की शिकायत सुसाइड नोट में है, जिसे जांच में लेकर नया केस दर्ज किया जाना चाहिए। यदि पुलिस कार्रवाई नहीं करती तो कोर्ट में प्राइवेट इस्तगासा लगाकर नए सिरे से केस दर्ज कराया जाएगा।
लखीमपुर का ये पूरा परिवार कागजों में मर चुका
“साहब…हम सात सालन ते अपने का जिंदा साबित करैं खातिर पुलिस, परशासन और कचहरी के चक्कर लगाए रहेन, लेकिन कोई सुनवाई नाय होय रई। जहां जात हईं सबै एक है बात कहत हईं तुम्हार कागज सही नहीं हैं। हमाई सारी जमीन पर चाचा और उनके लड़िकन कब्जा कर लिए।” ये दर्द है लखीमपुर खीरी के रहने वाले महेंद्र का।
महेंद्र का परिवार कागजों में मर चुका है। 60 साल के महेंद्र खुद और अपने पांच भाइयों को जिंदा साबित करने के लिए 7 साल से नगर पालिका, लेखपाल, प्रधान के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन कागजों में वो जिंदा नहीं हो पा रहे हैं। आखिर कैसे उनके पूरे परिवार को मृत घोषित किया गया। कैसे उनकी जमीन हड़पी गई। और अब जिंदा साबित करने का संघर्ष
जिंदा होने का सबूत देने कचहरी आए बुजुर्ग की मौत
UP के संतकबीर नगर में खुद को जिंदा साबित करने कचहरी पहुंचे 70 साल के बुजुर्ग ने सरकारी अफसरों के सामने दम तोड़ दिया। खेलई नाम के ये बुजुर्ग पिछले 6 साल से कागजों में दर्ज अपनी मौत के खिलाफ लड़ रहे रहे थे। इस लड़ाई के अंतिम चरण में उन्हें अफसरों के सामने पेश होकर खुद को जिंदा साबित करना था।
खेलई अधिकारियों के सामने पेश तो हुए, लेकिन अपनी बात नहीं रख पाए। यानी कागजों में मार दिए गए खेलई सरकारी अधिकारियों के सामने दुनिया छोड़ गए। साल 2016 में उनके बड़े भाई फेरई की मौत हुई थी, लेकिन उनकी जगह कागजों में छोटे भाई खेलई को मरा हुआ दिखा दिया गया।