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US: ‘भारत और ताइवान के खिलाफ आक्रामकता के लिए चीन को ठहराएं जवाबदेह’

फ्लोरिडा के मार्को रुबियो के नेतृत्व में रिपब्लिकन सीनेटरों ने कहा कि चीन को उसके प्रोपेगेंडा में न जीतने दिया जाए, बल्कि चीनी कम्यूनिष्ट पार्टी को मानवाधिकारों के हनन, अनुचित व्यापार प्रथाओं और सीमा से लगे देशों के खिलाफ आक्रामकता के लिए जवाबदेह ठहराया जाए।

भारत और ताइवान के खिलाफ चीन के आक्रामकता को कम करने के लिए रिपल्बिकन सांसदों ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से हस्तक्षेप की मांग की है। प्रभावशाली रिपब्लिकन सांसदों ने ब्लिंकन से चीनी नेतृत्व को यह बताने का आग्रह किया कि एशिया में उसका आक्रामक रवैया अस्वीकार्य है।यह मांग ऐसे समय पर की गई है, जब ब्लिंकन चीन की यात्रा करने वाले हैं। ऐसे में अमेरिकी सांसदों की ओर से ब्लिंकन और ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन को एक पत्र लिखा है।

चीन को प्रोपेगेंडा में न जीतने दें
फ्लोरिडा के मार्को रुबियो के नेतृत्व में रिपब्लिकन सीनेटरों ने कहा कि चीन को उसके प्रोपेगेंडा में न जीतने दिया जाए, बल्कि चीनी कम्यूनिष्ट पार्टी को मानवाधिकारों के हनन, अनुचित व्यापार प्रथाओं और सीमा से लगे देशों के खिलाफ आक्रामकता के लिए जवाबदेह ठहराया जाए। बता दें, चीन का कई देशों के साथ सीमाई विवाद है। वह दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी विवादित क्षेत्रों पर अपना दावा करता है। हालांकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम सभी इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान भी बनाए हैं। यहां तक कि, चीन का पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ क्षेत्रीय विवाद भी है।

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ब्लिंकन से मिले एनएसए अजीत डोभाल
इस बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की है। दोनों के बीच हुई बैठक में वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा हुई। इस दौरान दोनों ने द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने पर प्रतिबद्धता जताई। ब्लिंकन ने बैठक के बाद ट्वीट किया, “अमेरिका वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के साथ सहयोग बढ़ा रहा है।” उन्होंने ट्वीट में कहा, “हमारी रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने पर चर्चा करने के लिए आज भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ मेरी अच्छी बैठक हुई।”

दोनों की बैठक को लेकर भारतीय दूतावास ने भी एक ट्वीट किया। इसमें कहा गया, “दोनों पक्षों ने आपसी हित के वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विस्तार से विचारों का आदान-प्रदान किया और चर्चा की कि कैसे भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत कर सकते हैं।”

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