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सवा करोड़ का पैकेज छोड़ बनेंगे जैन संत 28 साल के प्रांशुक अमेरिका में थे डाटा साइंटिस्ट

सवा करोड़ का पैकेज छोड़ बनेंगे जैन संत 28 साल के प्रांशुक अमेरिका में थे डाटा साइंटिस्ट 28 साल के प्रांशुक कांठेड़। अमेरिका की कंपनी में सवा करोड़ के पैकेज पर डेटा साइंटिस्ट थे। अचानक सांसारिक जीवन से मोह भंग हो गया। डेढ़ साल पहले नौकरी छोड़ देवास आ गए। आज यानी सोमवार को जैन संत बनेंगे। उन्हें प्रवर्तक जिनेंद्र मुनिजी दीक्षा देंगे।

हाटपिपल्या में आयोजित दीक्षा समारोह में प्रांशुक के साथ उनके मामा के बेटे MBA पास थांदला के रहने वाले मुमुक्षु प्रियांश लोढ़ा और रतलाम के मुमुक्षु पवन कासवां दीक्षित भी संयम पथ पर चलेंगे।

देवास के हाटपिपल्या निवासी प्रांशुक के पिता राकेश कांठेड़ कारोबारी हैं। अब उनका पूरा परिवार इंदौर में रहता है। पिता राकेश ने बताया कि प्रांशुक ने इंदौर के जीएसआईटीएस कॉलेज से बीई की। आगे की पढ़ाई के लिए वह अमेरिका चला गया। एमएस करने के बाद प्रांशुक ने अमेरिका में ही 2017 में डेटा साइंटिस्ट की नौकरी ज्वाइन कर ली।

उसका सालाना पैकेस सवा करोड़ रुपए था। विदेश में रहने के बाद भी वह गुरु भगवंतों की किताबें पढ़ता रहा। वह इंटरनेट के माध्यम से उनके प्रवचन सुनता रहा। नौकरी से मोह भंग होने पर जनवरी 2021 में नौकरी छोड़कर घर लौट आया। घर में प्रांशुक की मां और उसका एक छोटा भाई है।

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पिता ने बताया कि प्रांशुक का झुकाव बचपन से ही धार्मिक कार्यों की ओर रहा। 2007 में वह उमेश मुनि जी के संपर्क में आया। उनके विचारों से प्रभावित होकर उसे वैराग्य की और अग्रसर होने की प्रेरणा मिली। तब गुरु भगवंत ने उन्हें संयम पथ के लिए पूर्ण योग्य नहीं माना।

इसके बाद उसने धार्मिक कार्यों के साथ पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया। 2016 में एक बार फिर पढ़ाई के दौरान वैराग्य धारण करने के लिए प्रयत्न किया, लेकिन गुरुदेव ने और योग्य होने की बात कही। इसके बाद वह अमेरिका चला गया।

डेढ़ साल पहले नाैकरी छोड़ भारत आ गया

2021 में एक बार फिर से वैराग्य धारण करने का संकल्प लेकर अमेरिका से नौकरी छोड़कर भारत आ गया। इसके बाद गुरु भगवंतों के सानिध्य में रहने लगा। गुरुदेव द्वारा इस मार्ग के योग्य मानने पर प्रांशुक ने माता-पिता से वैराग्य धारण करने की बात कही। माता-पिता ने एक लिखित अनुमति गुरुदेव जिनेंद्र मुनि जी को दे दी।

देश के अलग-अलग कोने से हाटपिपल्या में जैन संत- आएंगे। जिनके सानिध्य में बेटा दीक्षा ग्रहण करेगा। दीक्षा ग्रहण करने के बाद प्रांशुक सोशल मीडिया के साथ-साथ अपने घर तक से दूर हो जाएंगे। जिंदगी में पूरी तरह से बदलाव हो जाएगा।

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अब में जैन मुनि बनने के लिए अग्रसर प्रांशुक

मैं अमेरिका में डेटा साइंटिस्ट था। अब मैंने रिजाइन कर दिया है। मैं जैन मुनि बनने की ओर अग्रसर हूं। मेरे गुरु भंगवंतों के प्रवचन आदि सुनकर मैंने संसार की वास्तविकता को जाना-पहचाना। वास्तव में संसार का जो सुख है, वह क्षणिक है। वह कभी भी हमें तृप्त नहीं कर पाता, अपितु तृष्णा को बढ़ाता ही है।

वास्तव में जो शाश्वत सुख है, चिरकाल का सुख है, उसी सुख को पाने के लिए प्रयास करना ही जीवन की सार्थकता है, इसीलिए में जैन मुनि बनने की दिशा में अग्रसर हूं।

ऐसे होगी दीक्षा

मुख्य दीक्षा समारोह में तीनों मुमुक्षु भाइयों की महाभिनिष्क्रमण यात्रा निकालकर कृषि उपज मंडी प्रांगण स्थित दीक्षा महोत्सव पांडाल पहुंचेगी। सवा करोड़ का पैकेज छोड़ बनेंगे जैन संत 28 साल के प्रांशुक अमेरिका में थे डाटा साइंटिस्ट जहां प्रवर्तक जिनेंद्रमुनिजी हजारों जनसमुदाय की उपस्थिति में तीनों मुमुक्षु आत्माओं को दीक्षा अंगीकार करवाएंगे। इस दौरान 53 संयमी आत्मा का पावन सानिध्य रहेगा।

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