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बेरोजगारी भत्ते पर ‘सोशल मीडिया वार’ घोषणा पर रमन सिंह का तंज

गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य भाषण में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नये वित्तीय वर्ष से बेरोजगारी भत्ता दिये जाने की घोषणा की है। इस साल के अंत में प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हैं, ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के बीच सोशल मीडिया पर एक नई जंग छिड़ गई है।

पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इसको चुनावी घोषणा बताने की कोशिश की तो कांग्रेस के सोशल मीडिया हैंडल ने उन्हें पनामा का सांड कह दिया। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के आरोपों पर कहा, कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में बेरोजगारी भत्ते का कोई वादा ही नहीं किया था, उसके बाद भी भत्ता दिया जाएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने लिखा, चुनाव सामने देखकर दाऊ भूपेश बघेल को बेरोजगारी भत्ता याद आ गया। 52 महीनों तक युवाओं के 2500 रुपए का जिक्र तक नहीं किया। क्या कांग्रेस का घोषणापत्र सिर्फ आखिरी 6 महीनों के लिए था? राहुल गांधी के वादे के अनुरूप चार साल से बकाया 12 हजार करोड़ रुपए तत्काल बेरोजगार युवाओं को दिया जाना चाहिए।

जवाब में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के ट्वीटर हैंडल से डॉ. रमन सिंह पर हमला हुआ। लिखा- “पनामा का सांड” प्रदेश का पैसा लूटकर अपने बेटे और दामाद की जेब में डालता रहा। जनता के मुख्यमंत्री ने घोषणा पत्र में न होने के बावजूद भी बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा कर दी।

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इसके साथ एक पोस्टर पोस्ट किया गया, जिसमें भाजपा पर आरोप लगाया कि 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बेरोजगारी भत्तों का वादा किया था, लेकिन कभी दिया नही। कांग्रेस की सरकार ने कहा नहीं था, फिर भी दिया। विवाद यहां रुका नहीं। जवाब में भाजपा छत्तीसगढ़ के ट्वीटर हैंडल से कांग्रेस के घोषणापत्र का एक हिस्सा पोस्ट किया गया।

इसके मुताबिक कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में 10 लाख बेरोजगार युवाओं को राजीव मित्र योजना के तहत सामुदायिक विकास और समाजसेवी गतिविधियों से जोड़कर 2500 रुपया महीना देने का वादा किया था। भाजपा ने लिखा, हां हम स्वीकार करते हैं कि भूपेश बघेल के अघोषित घोषणापत्र में बेरोजगारी भत्ता नहीं केवल “कोयला दलाली’ थी। लेकिन टीएस सिंहदेव के जिस घोषणापत्र को राहुल गांधी ने जनता के सामने रखा, वह क्या था?

चंद्राकर बोले-इसपर एक और भाषण करें मुख्यमंत्री

भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने मुख्यमंत्री का भाषण पोस्ट कर लिखा, मुख्यमंत्री का फिर से संबोधन होना चाहिए। उसमें वे स्पष्ट बताएं कि बेरोजगारी भत्ता-जनघोषणापत्र के हिसाब से 17 दिसम्बर 2018 से मिलेगा या फिर केवल चुनावी वर्ष का मिलेगा। एक और पोस्ट में चंद्राकर ने कहा, चुनावी साल में इस घोषणा का कोई मतलब नहीं है। जब तक बजट विभागों तक पहुंचेगा तब तक चुनाव की आचार संहिता लग चुकी होगी।

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कांग्रेस ने दी घोषणापत्र में “बेरोजगारी भत्ता’ दिखाने की चुनौती

अजय चंद्राकर की पोस्ट पर कांग्रेस ने उन्हें सीधी चुनौती दे डाली। लिखा – सुबह से ही सांस्कृतिक कार्यक्रम में लग गये क्या? आंखे पूरी खुले तो देखकर बताना कि किस पार्टी के घोषणापत्र में बेरोजगारी भत्ता देना लिखा है। चुनौती है! स्वीकार कर लेना, अभी जवाब न हो तो 8:00 PM के बाद दे देना।

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