शंकराचार्य ने बताई भारत जोड़ो की परिभाषा छत्तीसगढ़ ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती रायपुर पहुंचे। उन्होंने एक कार्यक्रम में दैनिक भास्कर से बात-चीत में भारत जोड़ो यात्रा पर बड़ी बात कही। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा पाकिस्तान को भारत से जोड़िए हम आपका अभिनंदन करने को तैयार हैं।
भारत को जोड़ने का अभियान जरूर चलाया जाना चाहिए लेकिन पहले यह तय होना चाहिए कि हमें जोड़ना क्या है? हम कल्पना कर लेते हैं कि टूट रहा है लेकिन क्या? कल्पनाओं में ही तोड़ रहे हैं और कल्पनाओं में जोड़ रहे हैं।
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शंकराचार्य ने आगे कहा- बेहतर होगा जो प्रामाणिक तौर पर टूटा है उसे जोड़ा जाए। प्रामाणिक तौर पर भारत का बंटवारा करके पाकिस्तान बनाया गया। बांग्लादेश भी भारत भूमि का ही हिस्सा था। अगर जोड़ना ही है तो पाकिस्तान और बांग्लादेश को जोड़ें, जो हमसे अलग कर दिए गए। जो सच में टूटा है, उसे जोड़ें। भारत से टूट कर पाकिस्तान बना लेकिन आज वही देश हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है।
आजादी के पहले लिखी गई बंटवारे की स्क्रिप्ट
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा – आजादी के पहले ही भारत के बंटवारे की स्क्रिप्ट लिख दी गई थी। देश के बंटवारे की पहली शर्त थी कि सारे हिंदू भारत में रहेंगे और मुस्लिम पाकिस्तान चले जाएंगे। बंटवारे के समय जब बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, तब वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने नेहरू और जिन्ना से कहा कि अगर हिंसा नहीं रूकी तो भारत को आजाद करने फैसला वापस ले लिया जाएगा।
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यह साबित हो जाएगा कि आप देश नहीं चला सकते हैं। तब नेहरू और जिन्ना ने अंतरिम व्यवस्था के तौर पर लोगों से अपील की कि जो जहां हैं, वहां रहने के लिए स्वतंत्र हैं। ऐसे में बंटवारा कहां हुआ। आजादी के 75 वर्ष बाद भी विभाजन की शर्तों का पालन नहीं हो सका। जब हिंदू-मुस्लिम दोनों जगह रह रहे हैं तो बंटवारा कैसा? इसीलिए मैं कहता हूं कि बंटवारे को खत्म कर पाकिस्तान को वापस भारत में मिला लेना चाहिए।
क्या आज राजनीति में धर्म का सहारा लिया जा रहा है
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इसके जवाब में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा- धर्म और राजनीति के बीच सह-अस्तित्व का संबंध है। परेशानी तब आती है जब राजनीति धर्म का मुखौटा पहन कर लोगों के साथ छल करती है। तब खतरनाक स्थिति पैदा हो जाती है। एक पल के लिए मान लेते हैं कि 50-52 साल पहले सत्ता ने कोई गलती की थी।
तब भी क्या आज सत्ता में बैठे लोग उस पुरानी गलती का हवाला देकर अपनी गलतियों को सही ठहरा सकते हैं। आजकल यही हो रहा है। राजा के ऊपर हमेशा से धर्म का दंड होता है। लेकिन आजकल सत्ता में जवाबदेही का भाव कम दिखता है।
देश में दो तरह के हिंदू हैं
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हिंदूत्व पर कहा- देश में दो तरह के हिंदू हैं। एक धार्मिक हिंदू और दूसरा राजनीतिक हिंदू। राजनीतिक हिंदू अपने मतलब के लिए धर्म की बात करते हैं। लेकिन सही मायने में धर्म पर खतरा आ जाए तो ऐसे लोग पल भर में पाला बदल लेते हैं।
राजनीतिज्ञ अपने राजनीतिक लाभ के लिए हिंदू की बात करते हैं। असली हिंदू वही है जो गंदगी को पसंद न करे। चाहे वह गंदगी घर में हो या बाहर हो। सावरकर ने हिंदुत्व की बात कही थी।
सनातन धर्म के लिए आप क्या संदेश देंगे
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस पर कहा- सनातनियों के लिए मैं सिर्फ यही संदेश दूंगा कि आप सभी अपनी जड़ों से जुड़े रहें। वरना अस्तित्व पर संकट आ जाएगा। आजकल समाज में एक नई परंपरा चल पड़ी है। जिसके पास संसाधन अधिक है उसे बड़ा मान लिया जाता है।
लोग हमेशा इसी सोच में डूबे रहते हैं कि बड़ा कैसे बने? इस चक्कर में वे तरह-तरह के उपायों से संसाधन जमा करने लगते हैं। लेकिन धर्म के लिए धन की जरूरत नहीं होती है। लेकिन स्थिति हमेशा इसके उलट होती है। इस देश में उसी व्यक्ति को महापुरुष का दर्जा मिला है जिसने त्याग किया। धर्म के लिए धन की जरूरत नहीं है।
क्या घर पर पूजा करने, प्रदक्षिणा करने या प्राणायाम करने में धन लगता है? संपत्ति का स्वभाव है वह धर्म पथ पर चलने वाले के पास अपने-आप आ जाती है। इसलिए अगर आपके मन में संपत्ति की इच्छा है तब भी धर्म के ही मार्ग पर चलते रहिए।
क्या इंटरनेट से हमारे धर्म-संस्कार प्रभावित हो रहे हैं
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा- आधुनिक दौर में इंटरनेट सूचना और संवाद का सशक्त माध्यम है। इस पर अच्छी सामग्रियां भी है लेकिन साथ में कचरा भी मौजूद है। इस सशक्त माध्यम को अगर विवेकशील व्यक्ति इस्तेमाल करेगा तो इसका सदुपयोग होगा।
लेकिन हर व्यक्ति विवेकशील नहीं हो सकता है और जब विवेक से काम नहीं लिया जाएगा तो साधन के दुरुपयोग होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इंटरनेट पर नियंत्रण जरूरी है। इंटरनेट पर सबकुछ परोसने की नीति गलत है।
समाज में एक कहावत है, टके सेर भाजी टके सेर खाजा। लेकिन कहावत को यथार्थ नहीं माना जाएगा क्योंकि भाजी और खाजा का भाव कभी भी एक नहीं हो सकता है।
बताया कैसे रुकेगा लव-जिहाद
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा- लव-जिहाद के नाम पर हिंदू बेटियों को बहलाया-फुसलाया जा रहा है। बच्चों को अच्छा संस्कार मिलना चाहिए। इसकी बुनियाद घर में ही पड़ जानी है। स्कूलों में बच्चों को धर्मनिपेक्षता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। जबकि धार्मिक शिक्षा देने की जरूरत है।
आजकल बच्चे खुद को माता-पिता से अधिक समझदार मानने लगे हैं। यही समस्या की जड़ है। पहले ऐसा नहीं होता था। हमारी संस्कृति में ‘तलाक’ शब्द ही नहीं है। लेकिन आज युवा अपनी पसंद से शादी करते हैं और तीन-चार साल में बात तलाक तक पहुंच जाती है। भारतीय संस्कृति में विवाह जन्म-जन्मांतरण का रिश्ता होता है। इस समाज को सोचना होगा।
धर्मांतरण की घटनाओं से कैसे उबरा जा सकता है
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया- पहले यह देखिए कि धर्मांतरण किन लोगों का हो रहा है। ऐसा करने वाले वही लोग हैं जो पढ़े-लिखे नहीं हैं। अभावग्रस्त हैं। उनको लोभ देकर छल से धर्मांतरण करा लिया जाता है। शंकराचार्य ने बताई भारत जोड़ो की परिभाषा मैं तो धर्मांतरण के ठेकेदारों से बार-बार कहता हूं कि वे आकर किसी भी शंकराचार्य या धर्माचार्य से शास्त्रार्थ करें।
जो धर्म का दर्शन समझता है कोई उसका धर्मांतरण करके दिखाए। क्या आजतक ऐसा हुआ, नहीं ना, क्योंकि धर्मांतरण के ठेकेदारों को पता है कि वे गलत कर रहे हैं।
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