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47 सीटों पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी आम आदमी पाटी

47 सीटों पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी आम आदमी पाटी

सरकार रिपीट करने की पुरजोर कोशिशों में जुटी राजस्थान की कांग्रेस सरकार के लिए अगला विधानसभा चुनाव कठिन होगा। वजह- आम आदमी पाटी, गुजरात में जिस तरह ‘आप’ ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया, वैसे ही समीकरण राजस्थान में बनते दिख रहे हैं।

5 साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में ‘आप’ ने गुजरात से बेहतर प्रदर्शन राजस्थान में किया था। यही अनुपात रहा तो अगले साल हो रहे चुनाव में आप 47 सीटों पर कांग्रेस को नुकसान पहुचाएंगी। ऐसा हुआ तो भाजपा के लिए सरकार बनाना आसान हो जाएगा। उधर, AAP मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस को 51 सीटों पर मुश्किल खड़ी कर सकती है।

गुजरात में आम आदमी पाटी ने कांग्रेस को कैसे नुकसान पहुंचाया

गुजरात में आम आदमी पार्टी को 5 सीटें मिलीं है। इसके प्रत्याशियों ने 13 % वोट हासिल किए। 35 सीटों पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी वोट हासिल करने में दूसरे नंबर पर रहे। भाजपा ने जो 156 सीटें जीतीं, उनमें 33 सीटों पर ‘आप’ और कांग्रेस के वोट मिला दें तो भाजपा प्रत्याशी से ज्यादा हैं।

यानी, यदि ‘आप’ का प्रत्याशी मैदान में नहीं होता तो कांग्रेस कैंडिडेट के जीतने की उम्मीद थी। 2017 में कांग्रेस को 41 प्रतिशत वोट मिले थे जो अब 28% पर सिमट गया। ये वोट शेयर घटने से कांग्रेस की 60 सीटें कम हो गईं। राजनीतिक एक्सपर्ट मान रहे हैं कि आप ने कांग्रेस के इन्हीं 13 प्रतिशत वोटों में सेंध लगाई है।

आम आदमी पाटी से केवल कांग्रेस को नुकसान होगी , भाजपा को नहीं

इसके लिए हमें कांग्रेस के वोटर को देखना होगा… गुजरात और राजस्थान के संदर्भ में। कांग्रेस के परंपरागत वोटर में मुस्लिम, SC और ST कैटेगरी के ज्यादा लोग हैं। यह आप पार्टी अब फ्री और रियायतों की घोषणा से समाज के लो इनकम क्लास को अपनी तरफ करने में कामयाब देखी जा रही है। इस क्लास का ज्यादातर वोट अब तक कांग्रेस को वोट देता आ रहा है।

शहरी आबादी के एक वर्ग का झुकाव भी आप की तरफ हुआ है। आप का भी ज्यादा फोकस शहरी क्षेत्रों के वोटर्स को फ्री बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य वाली सुविधाओं का दिल्ली मॉडल दिखाकर लुभाना रहा है। कांग्रेस की बजाय आप ज्यादा अग्रेसिव हिंदुत्व वाली लाइन पर चलकर इस क्लास के वोटर को अपनी तरफ करने की कोशिशों में जुटी है।

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कांग्रेस के लिए बड़ा खतरा इसलिए क्योंकि 5 साल पहले गुजरात से बेहतर था राजस्थान में प्रदर्शन

गुजरात और राजस्थान दोनों के पिछले विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। हालांकि आप ने गुजरात से ज्यादा वोट राजस्थान में हासिल किए थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में आप को राजस्थान में 0.4 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि गुजरात में 2017 के चुनावों में उसे मात्र 0.1 फीसदी वोट मिले थे।

पार्टी का तब कोई इफैक्ट नहीं दिखा और उसके प्रत्याशी भी पहचान के संकट से जूझ रहे थे। पंजाब और गुजरात में मिली कामयाबी के बाद राजस्थान में आम आदमी पार्टी का परसेप्शन तेजी से बदला है।

राजस्थान की 47 सीटें जहां कांग्रेस को नुकसान होगा

पंजाब के नजदीक की 18 सीटें: पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। राजस्थान के हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर की सीमा पंजाब से लगती है, अपनी सरकार का फायदा उठाकर आम आदमी पार्टी इन दोनों जिलों के साथ इनसे सटे बीकानेर जिले में भी एग्रेसिव काम करेगी। इन तीन जिलों की 18 विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी की नजर है, पार्टी यहां इंटरनल सर्वे भी करा चुकी है।

17 आदिवासी सीटों पर दिल्ली मॉडल से लुभाएगी आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी गुजरात की तर्ज पर आदिवासी और एससी क्षेत्रों में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। यहां गांव-गांव में वह वॉलेंटियर तैयार किए जा रहे हैं। बांसवाड़ा की 5, सिरोही की 3, डूंगरपुर की 4 और उदयपुर की 5 सीटों पर असर छोड़ेगी जिसका सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा। इन क्षेत्रों में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तीन-चौथाई सीटें जीती थीं। ‘आप’ यहां की 10 सीटों पर सीधे और बाकियों पर आंशिक रूप से कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी करेगी। यह सभी इलाके गुजरात से लगे हुए हैं।

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कम अंतर से हार-जीत वाली 12 सीटें:

फतेहपुर, पोकरण, दातारामगढ़, खेतड़ी, बेगू, सांगोद, नावा, पचपदरा, मसूदा, चाकसू, भीम, वल्लभनगर ऐसी सीटें हैं, जहां 2018 में 4 हजार वोट से भी कम अंतर से हार-जीत हुई थी। आम आदमी पार्टी की अग्रेसिव कैंपेनिंग इन सीटों के रिजल्ट पर असर डालेगी और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ेगी।

कांग्रेस-भाजपा के नेताओं की आपसी लड़ाई का फायदा मिलेगा- आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी विनय मिश्रा मानते हैं कि कांग्रेस और भाजपा में नेताओं के बीच हो रही लड़ाई का पार्टी को फायदा होने वाला है। उन्होंने कहा यूं तो पूरा राजस्थान ही फोकस एरिया है, लेकिन श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ सहित अलवर व जयपुर के लोगों का रिस्पांस ज्यादा मिल रहा है।

आम आदमी पार्टी के इस दावे पर राजस्थान की राजनीति के वरिष्ठ विश्लेषक सीताराम झालानी इससे बहुत इत्तेफाक नहीं रखते हैं। वे कहते हैं कि केजरीवाल का दिल्ली और पंजाब में भले ही प्रभाव देखने को मिल रहा हो, लेकिन राजस्थान में कोई चर्चा तक नहीं है। राजस्थान की जनता वोट देते वक्त यह देखेगी कि आप पार्टी का नेता कौन है और उसका राजस्थान में क्या योगदान रहा, इस मोर्चे पर आप के सामने मुश्किलें खड़ी होने वाली हैं।

कांग्रेस का तर्क राजस्थान में आप कोई फैक्टर नहीं, नहीं होगा नुकसान

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी कहते हैं कि गुजरात में जरूर आप ने नुकसान पहुंचाया है, लेकिन राजस्थान में इस पार्टी का आधार नहीं है, जबकि कांग्रेस के पास यहां गहलोत-पायलट जैसे नेता हैं। वहीं आप के पास नेता के नाम पर कोई नहीं है, हर राज्य की अपनी अलग परिस्थिति होती है, इसलिए आप यहां ज्यादा वोट नहीं ले पाएगी।

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