नई दिल्ली। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने सोमवार को राज्यसभा में सभी विधायी कामकाज रोककर उद्योगपति गौतम अडानी से जुड़े कथित रिश्वत मामले पर चर्चा कराने की मांग की, लेकिन सभापति ने इसे नामंजूर कर दिया जिसे लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही पहले 15 मिनट के लिए पौने बारह बजे तक और फिर दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी। पन्द्रह मिनट के स्थगन के बाद पौने बारह बजे जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्होंने हमेशा नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को उचित सम्मान दिया है लेकिन उन्हें खड़गे के बयान से ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि खड़गे ने अपने कार्यस्थगन प्रस्ताव के नोटिस में सदन का सभी विधायी कामकाज रोककर एक विषय पर चर्चा कराने की मांग की है।
सभापति ने कहा कि इससे इस सदन का राष्ट्रहित का उद्देश्य पूरा नहीं होता इसलिए इसे मंजूर नहीं किया गया है। उन्होंने सदस्यों से सदन में शांतिपूर्ण ढंग से सामान्य कामकाज चलने देने की अपील की। कांग्रेस के सदस्यों ने कहा कि नेता विपक्ष को अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए और वे अपनी जगह पर खड़े होकर कुछ बोलने लगे। सभापति ने सदस्यों पर उनकी अपील का असर ने होते देख सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी। सदन में जब सभापति ने इस बात का उल्लेख किया कि देश संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 वर्ष पूरा कर रहा है, इसलिए ऐसे मौके पर रचनात्मक चर्चा कर सदन में देश की प्रगति और विकास से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। खड़गे ने कहा कि उन्हें इस बारे में नहीं बताया जाना चाहिए क्योंकि इन 75 वर्षों में उनका भी 54 वर्ष का योगदान है।