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मुख्य मंत्री ने नीति आयोग की उच्च स्तरीय टीम के समक्ष राज्य की मांगें जोरदार ढंग से उठाईं

चंडीगढ़, 26 जून

पंजाब के मुख्य मंत्री भगवंत सिंह मान ने आज नीति आयोग की टीम के सामने राज्य का पक्ष जोरदार ढंग से रखा और समर्थन की मांग की ताकि एक ओर पंजाब का समग्र विकास सुनिश्चित हो और दूसरी ओर इसके हितों की भी रक्षा हो।


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नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद और प्रोग्राम डायरेक्टर संजीत सिंह के नेतृत्व वाली टीम के साथ विचार-विमर्श के दौरान मुख्य मंत्री ने कहा कि यह उपयुक्त समय है जब आयोग को पानी और कृषि से संबंधित पंजाब की समृद्ध विरासत को बचाने के लिए खुले दिल से मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की 553 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान से लगती है और छह जिले अमृतसर, तरन तारन, गुरदासपुर, पठानकोट, फिरोजपुर और फाजिल्का सीमा पर स्थित हैं। भगवंत सिंह मान ने अफसोस जताया कि केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर को विशेष रियायतें देने से पंजाब के सीमावर्ती जिलों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है।

मुख्य मंत्री ने कहा कि पंजाब के व्यापार और औद्योगिक क्षेत्र में फिर से जान फूंकने के लिए हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर पंजाब के सीमावर्ती जिलों को भी सहारा देने की जरूरत है। सीमावर्ती जिलों के लिए विशेष रियायती पैकेज की मांग करते हुए, उन्होंने प्रत्येक सीमावर्ती जिले में एग्रो फूड प्रोसेसिंग जोन स्थापित करने की वकालत की, जिसमें विशेष ध्यान बासमती चावल उद्योग और लीची जैसे बागवानी उत्पादों पर दिया जाए। भगवंत सिंह ने सीमावर्ती जिलों में मौजूदा फोकल पॉइंट्स के नवीनीकरण और अमृतसर में प्रदर्शनी-कम-सम्मेलन केंद्र स्थापित करने की भी वकालत की।

मुख्य मंत्री ने एग्रो क्षेत्र के लिए पी.एल.आई. स्कीम, टेक्सटाइल क्षेत्र के लिए कर रियायतें, उद्योग के लिए परिवहन सब्सिडी, और सीमावर्ती जिलों के लिए रियायती ब्याज दरों पर ऋण और कार्यशील पूंजी की भी मांग की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कांटेदार तारों के बीच की जमीन के मालिकों के लिए मुआवजे में वृद्धि की मांग करते हुए कहा कि किसानों की 17,000 एकड़ से अधिक जमीन कांटेदार तारों के पार है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि वर्तमान में किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष 10,000 रुपए मुआवजा दिया जाता है, जिसे बढ़ाकर 30,000 रुपए किया जाए। उन्होंने आगे कहा कि यह मुआवजा केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से देने के बजाय पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा दिया जाए, क्योंकि ये मेहनती किसान देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।


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सीमावर्ती क्षेत्रों में रक्षा की दूसरी पंक्ति को मजबूत करने के संबंध में, मुख्य मंत्री ने सभी 2107 सीमावर्ती गांवों के लिए बॉर्डर विंग होम गार्ड्स स्कीम को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने प्रत्येक जवान के लिए 1999 में निर्धारित ड्यूटी भत्ता 45 रुपए प्रतिदिन से बढ़ाकर न्यूनतम 655 रुपए करने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती गांवों और बी.एस.एफ. के बीच बेहतर तालमेल के लिए यह आवश्यक है। भगवंत सिंह मान ने ड्रोन के माध्यम से नशे और हथियारों की तस्करी रोकने के लिए जैमर सहित अन्य उपकरण और बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने के लिए 2829 करोड़ रुपये की भी मांग की।


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मुख्य मंत्री ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि सीमा का 4/5 हिस्सा जैमिंग सिस्टम के बिना है, जिसके कारण देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए बड़ी चुनौती खड़ी होती है। भगवंत सिंह मान ने केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘गतिशील गांव प्रोग्राम’ में संशोधन करके राज्य के अधिक से अधिक सीमावर्ती गांवों को इसका लाभ देने की मांग की। उन्होंने कहा कि पंजाब के सीमावर्ती जिलों में अन्य राज्यों की तुलना में अधिक आबादी रहती है। उन्होंने कहा कि सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में राज्य के 1500 गांव आते हैं, जिनमें से केवल 101 गांवों को इस योजना के लिए चुना गया है।

मुख्य मंत्री ने कहा कि पंजाब को रियायतें देने की जरूरत है ताकि सीमावर्ती गांवों और कस्बों में आम लोगों की जरूरतें पूरी की जा सकें। उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के साथ हालिया झड़पों ने सीमावर्ती जिलों को युद्ध के लिए तैयार करने की जरूरत को उजागर किया है, जिसके तहत सीमावर्ती गांवों के लिए वैकल्पिक संपर्क मार्ग और शहरी आबादी के लिए बंकरों और हवाई आश्रयों का निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में आपातकालीन ऑपरेशन सेंटर और अत्याधुनिक रिस्पॉन्स कमांड व कंट्रोल सेंटर, स्ट्रीट लाइटों के लिए सेंसर, सीमावर्ती शहरों में ट्रॉमा सेंटर और द्वितीयक व तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करना जरूरी है। इसी तरह, भगवंत सिंह मान ने कहा कि वायु सेना, थल सेना और बी.एस.एफ. के बीच सुचारू संचार के लिए सुरक्षित लाइनों को सुनिश्चित करने के साथ-साथ साइबर सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाएं, ‘गतिशक्ति प्रोग्राम’ के तहत संसाधन मैपिंग और जिला सिविल डिफेंस को मजबूत किया जाए। इसके साथ-साथ आपदा के दौरान राहत कार्य भी सुनिश्चित किए जाने चाहिए।

औद्योगिक क्षेत्र के मुद्दों को उठाते हुए, मुख्य मंत्री ने राज्य सरकार द्वारा की गई महत्वपूर्ण पहलों की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिनमें फास्ट ट्रैक पंजाब पोर्टल, समयबद्ध सेवाएं, राइट टू बिजनेस एक्ट, रंग-कोडेड स्टांप पेपर की शुरुआत और निवेश-अनुकूल अन्य कदम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य की अर्थव्यवस्था में विनिर्माण का हिस्सा 14.4 प्रतिशत है, लेकिन राज्य सरकार 2030 तक इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत और 2047 तक 25 प्रतिशत करने की इच्छुक है। भगवंत सिंह मान ने इसके लिए पूरी तरह से जमीनी सीमा से जुड़े पंजाब के लिए परिवहन सब्सिडी की मांग की और छोटे निर्माताओं के लिए एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स (ई.पी.सी.जी.) स्कीम की तर्ज पर योजना लाने की मांग की ताकि उनके उत्पाद देश के भीतर भेजे जा सकें।

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