लक्ष्मी बाई केलकर जयंती पर विशेष आलेख

भारतीय संस्कृति को पूरे विश्व में सबसे महान एवं विश्व की सभ्यता में सबसे पुरानी संस्कृति मानी जाती है भारतीय संस्कारों की वैज्ञानिकता पर तो आज अमेरिका सहित अन्य कई विकसित देशों को आश्चर्य हो रहा है की किस प्रकार आज से कई हजारों साल पहले भारत में सभ्यता इतनी विकसित अवस्था में रही थी भारतीय संस्कारों के विभिन्न आयाम खरे उतर रहे हैं भारतीय परंपराओं के अनुसार भारतीय समाज में मातृशक्ति को सदैव ही उच्च स्थान दिया गया है हम भारतीय तो मातृशक्ति को देवी माता के रूप में ही देखते हैं और भारतीय समाज के उत्थान में मातृ शक्ति का योगदान सदैव ही उच्च स्तर का रहा है चाहे वह मातृत्व की दृष्टि से राष्ट्र माता जीजाबाई का हो चाहे वे नेतृत्व की दृष्टि से रानी लक्ष्मीबाई का हो और चाहे वह क कृतत्व की दृष्टि से देवी अहिल्याबाई होल्कर का हो वैसे भी भारतीय समाज में माता को प्रथम गुरु के रूप में देखा जाता है जो हमें न केवल इस धरा पर लाती है बल्कि हमारे जीवन के शुरुआती दौर में हमें अपने धार्मिक संस्कारों परंपराओं सामाजिक नियमों आदि से परिचित करवाती है।
लक्ष्मी बाई का जन्म नागपुर के महल जिले में वर्ष 1905 में हुआ था उसका नाम कमल रखा गया था जिसका अर्थ है कमल उनके माता-पिता भास्कर राव दाते , एक सरकारी कर्मचारी और यशोदा बाई एक ग्रहणी थी ब्रिटिश शासन के उन दिनों में , लोकमान्य तिलक द्वारा संपादित,’ केसरी ‘ जैसे समाचार पत्रों को खरीदना और पढ़ना देशद्रोह माना जाता था अगर कोई सरकारी कर्मचारी हो लेकिन उनकी मां अखबार खरीदती थी और सभी महिलाओं को एक साथ पढ़ने के लिए बुलाती थी इस प्रकार लक्ष्मीबाई का मातृभूमि के प्रति गहरा प्रेम संगठन क्षमता , निडरता और निडर भावना उन्हें अपने माता-पिता से मिली एक बच्चे के रूप में हिंदू किंवदंतियायो के गीतों , परंपराओं और कहानियों ने उनके युवा मन पर एक अमिट छाप छोड़ी और उन्हें मंदिर जाना बहुत पसंद था । वह छोटी उम्र में भी बहादुर और स्पष्ट वादी थी उन्होंने खेलों को छोटे-मोटे विवादों से दूर रखकर नेतृत्व के गुणों का प्रदर्शन किया और अपने दोस्तों को बिना किसी पूर्वाग्रह के निष्पक्ष खेलने का निर्देश दिया अपनी मां को अन्य लड़कियों और महिलाओं के साथ प्रतिदिन ‘ केसरी ‘ पढ़ते हुए सुनकर कमल के मन में धीरे-धीरे देशभक्ति और ब्रिटिश शासन के प्रति आक्रोश की भावना बढ़ने लगी। राष्ट्रीय सेवा का समिति का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को संगठित करना उनका शारीरिक बौद्धिक और नैतिक विकास करना और उन्हें राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करना समिति महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए काम करती है समिति का उद्देश्य महिलाओं में राष्ट्रीयता देशभक्ति और संस्कृति के प्रति गर्भ की भावना जागृत करना है समिति स्वस्थ शिवर शिक्षा और अन्य सामाजिक कार्यों के माध्यम से समाज की सेवा करती है समिति पारिवारिक मूल्यों को महत्व देती है और महिलाओं को परिवार और समाज के लिए प्रेरणादायक शक्ति बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है समिति भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने और उनका संरक्षण करने का प्रयास करती है समिति महिलाओं को संगठित करके उनमें आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का विकास करती है जिससे वह सामूहिक रूप से समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान कर सके यदि संक्षेप में कहा जाए तो राष्ट्रीय सेवा का समिति महिलाओं को संगठित करके उन्हें सशक्त बनाकर और उनमे राष्ट्रीयता की भावना जागृत करके राष्ट्रीय निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करती है।
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