
चंडीगढ़, 6 सितंबर
पंजाब के जल संसाधन मंत्री श्री बरिंदर कुमार गोयल ने आज केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पंजाब में अवैध खनन के कारण बाढ़ आने के दिए गए बयान का कड़े शब्दों में खंडन किया। उन्होंने कहा कि यह बाढ़ ऊपरी पहाड़ी क्षेत्रों में रिकॉर्ड बारिश होने से दरियाओं में पानी के तेज बहाव के कारण आई हैं, न कि खनन गतिविधियों के कारण।
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यहाँ प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री ने केंद्रीय मंत्री के आरोपों को बेबुनियाद और गुमराह करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि इस कठिन घड़ी में राजनीतिक इल्ज़ाम लगाने की बजाय सारा ध्यान प्रभावित परिवारों को राहत देने और पुनर्वास पर दिया जाना चाहिए था।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि इस साल पंजाब में रावी दरिया में 14.11 लाख क्यूसेक पानी आया, जो वर्ष 1988 में दर्ज 11.2 लाख क्यूसेक पानी से कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान पंजाब सरकार ने 200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बांधों की मज़बूती करवाई, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि बांधों ने पानी के तेज दबाव का पूरी तरह सामना किया और ब्यास दरिया पर विभाग द्वारा बनाए गए बांधों में कोई दरार नहीं आयी।
केंद्रीय मंत्री के बयान को तर्कहीन करार देते हुए कैबिनेट मंत्री ने स्पष्ट किया कि फौज और बी.एस.एफ. की पाबंदियों के कारण अंतर्राष्ट्रीय सीमा से पाँच किलोमीटर के अंदर खनन गतिविधियों पर रोक है, जिसके चलते रावी नदी में खनन नहीं किया जा सकता। इसी तरह ब्यास नदी को पहले ही ‘सुरक्षित क्षेत्र’ घोषित किया गया है, जहाँ खनन की मनाही है। उन्होंने कहा कि घग्गर नदी में कोई खनन गतिविधि नहीं हो रही और सतलुज में सिर्फ स्वीकृत खनन योजनाओं तथा राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एस.इ.आइ.ए.ए.) से वातावरण अनुमति के बाद ही खनन की इजाज़त ली गई है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पंजाब में रेगुलेटेड खनन गतिविधियों से दरियाओं के बांधों को कोई खतरा नहीं और दरियाओं के बांधों से 100 मीटर के भीतर किसी भी खनन गतिविधि की इजाजत नहीं है।
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केंद्रीय मंत्री के दावों को पूरी तरह खारिज करते हुए श्री बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि बाढ़ का एकमात्र कारण अत्यधिक वर्षा है। उन्होंने बताया कि अकेले 25 अगस्त को चंबा में सामान्य से 1205 प्रतिशत अधिक, कांगड़ा में 275 प्रतिशत अधिक और पठानकोट में 820 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। उन्होंने कहा कि ऐसी प्राकृतिक आपदा को अवैध खनन से जोड़ना पंजाब के पीड़ित लोगों के साथ गंभीर अन्याय है।
केंद्र सरकार को पंजाब की मांगों पर अनावश्यक देरी करने की ओर ध्यान दिलाते हुए श्री बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि पंजाब हर साल राष्ट्रीय हित में बी.एस.एफ. और फौज की चौकियों की सुरक्षा के लिए करोड़ों रुपये खर्च करता है।
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उन्होंने अफसोस जताया कि पंजाब के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव की बार-बार की अपीलों के बावजूद बी.एस.एफ. और फौज की अहम सरहदी चौकियों की सुरक्षा के लिए पंजाब की प्रस्तावित योजनाएँ अभी भी भारत सरकार के पास लंबित पड़ी हैं। उन्होंने आगे कहा कि एन.डी.एम.ए. द्वारा सैद्धांतिक मंजूरी के बावजूद 28 प्रस्तावित कार्यों में से केवल 19 को ही स्वीकृति मिली है और हम अब भी फंड जारी होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) की केंद्र के इशारे पर पंजाब के साथ पक्षपातपूर्ण रवैये की कड़ी निंदा करते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि तकनीकी समिति की बैठक में पंजाब ने स्पष्ट रूप से जून माह में धान की बुवाई के मौसम के कारण सिंचाई हेतु 29,500 क्यूसेक पानी की मांग की थी। बार-बार पत्र लिखने और अपीलों के बावजूद पंजाब को केवल 21,000 क्यूसेक पानी आवंटित किया गया, जो निर्धारित नियमों के विपरीत है, क्योंकि नियमों के अनुसार भराई के समय में साझेदार राज्य की मांग के अनुसार सप्लाई देना अनिवार्य होता है। श्री गोयल ने कहा कि यदि पंजाब को उसका उचित हिस्सा दिया जाता तो हमारी सिंचाई की ज़रूरतें भी पूरी हो जातीं और डैमों में अतिरिक्त पानी स्टोर करने की भी क्षमता रहती।
कैबिनेट मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड शुरू से ही अपनी मनमर्जी से काम करता आ रहा है और जब पंजाब को राहत की ज़रूरत होती है तो चुप हो जाता है और दबाव बनाकर पंजाब पर अपने फैसले थोपता है।
उज्ज नदी के प्रवाह को रावी नदी पर मकौड़े पत्तन में बैराज बनाकर नियंत्रित करने संबंधी लंबित मांग पर कैबिनेट मंत्री ने कहा कि यह प्रोजेक्ट सरहदी क्षेत्रों में सिंचाई, पेयजल और जल रिजार्च सुविधाओं को बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि पंजाब को उज्ज के पानी पर अधिकार है और इस संबंधी विस्तृत योजनाएँ पहले ही केंद्रीय जल आयोग को सौंपी जा चुकी हैं।
उन्होंने दोहराया कि इस वर्ष की बाढ़ हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में भारी बारिश का नतीजा हैं, जिसमें पाकिस्तान से आने वाला बहाव और स्थानीय नदियों का बहाव भी शामिल है। उन्होंने कहा कि फिर भी बांधों को समय पर मज़बूत करने के चलते नुकसान काफी कम हुआ है। ब्यास दरिया ने भी पोंग डैम में ऐतिहासिक बहाव दर्ज किया, जो अब तक के सभी रिकॉर्ड से अधिक है।
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