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गोधरा कांड के 15 दोषियों की जमानत पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा था

गोधरा कांड के 15 दोषियों की जमानत पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा था

सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को गोधरा कांड अग्निकांड के दोषियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करने वाला है। इससे पहले 2 दिसंबर को 2002 के गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में सुनवाई हुई थी।

जिसमें CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने गुजरात सरकार से जानकारी मांगी थी कि इस कांड में किस आरोपी की क्या भूमिका थी।

बेंच इसी जानकारी के आधार पर जमानत के आवेदन पर विचार करने वाला है। बेंच ने यह भी कहा था कि ये सभी 17-18 साल की सजा काट चुके हैं।

बेंच ने कहा था कि पहले जमानत याचिकाओं पर सुनवाई होगी

2 दिसंबर को एक दोषी फारुक की जमानत याचिका बेंच के पास पहुंची थी। जब SG ने सुनवाई को जनवरी तक के लिए स्थगित करने की मांग की, तब फारुक के वकील ने बेंच से कहा कि इसे विंटर वेकेशन के पहले सुना जाए, क्योंकि राज्य दूसरी बार स्थगन की मांग कर रहा है।

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सॉलिसिटर जनरल ने यह भी कहा, “अगर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई होती है, तो सब कुछ सुलझाया जा सकता है। लेकिन बेंच ने कहा कि वह सबसे पहले जमानत याचिकाओं पर विचार करेगी।

गोधरा कांड के 31 दोषियों को उम्रकैद

गोधरा कांड के बाद चले मुकदमों में करीब 9 साल बाद 31 लोगों को दोषी ठहराया गया था। 2011 में SIT कोर्ट ने 11 दोषियों को फांसी और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में अक्टूबर 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की फांसी की सजा को भी उम्रकैद में बदल दिया था।

13 मई 2022 को एक दोषी अब्दुल रहमान धंतिया कंकट्टो जम्बुरो को 6 महीने की जमानत दी गई थी। रहमान की पत्नी को टर्मिनल कैंसर है और उसकी बेटियां मानसिक बीमार हैं। 11 नवंबर को उसकी जमानत 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दी गई।

गोधरा कांड में 59 की मौत उसके बाद भड़के दंगों में हजार की जान गई

2002 में गुजरात के गोधरा स्टेशन पर एक दुखद घटना हुई थी। अहमदाबाद जाने के लिए साबरमती एक्सप्रेस गोधरा स्टेशन से चली ही थी कि किसी ने चेन खींचकर गाड़ी रोक ली और फिर पथराव किया।

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बाद में ट्रेन के S-6 डिब्बे में आग लगा दी गई। ट्रेन में अयोध्या से लौट रहे 59 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी।

गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। गोधरा कांड के एक दिन बाद 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी में बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी।

इन दंगों से राज्य में हालात इस कदर बिगड़ गए कि स्थिति काबू में करने के लिए तीसरे दिन सेना उतारनी पड़ी।

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