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पवित्र कुरान जलाने से खत्म हो सकता है, स्वीडन का नाटो सदस्य बनने का सपना

नाटो सदस्य बनने के लिए सभी 30 नाटो सदस्यों की अनापत्ति जरूरी होती है। अमेरिका स्वीडन को नाटो का सदस्य बनाने के समर्थन में है लेकिन तुर्किए की आपत्ति स्वीडन की राह में रोड़ा बन रही है।

तुर्किए ने शनिवार को स्वीडन के रक्षा मंत्री का अंकारा का दौरा रद्द करने का ऐलान कर दिया। तुर्किए के इस ऐलान से स्वीडन का नाटो सदस्य बनने का सपना चकनाचूर हो सकता है। बता दें कि स्वीडन की राजधानी स्टाकहोम में तुर्किए के दूतावास के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद तुर्किए की सरकार ने यह ऐलान किया है। स्वीडन के दक्षिणपंथी नेता रासमस पालूदान के नेतृत्व में हुए इन विरोध प्रदर्शन के दौरान पवित्र कुरान की एक प्रति जलाई गई। इस घटना ने तुर्किए को नाराज कर दिया है।


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स्वीडन लंबे समय से नाटो का सदस्य बनने की कोशिश कर रहा है लेकिन तुर्किए की आपत्ति की वजह से उसका यह सपना पूरा नहीं हो पा रहा है। स्वीडन के रक्षा मंत्री का तुर्किए का दौरा इस लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा था क्योंकि इस दौरे में स्वीडन, तुर्किए की आपत्तियों को दूर करने के लिए बातचीत करता।

हालांकि स्टाकहोम में हुए विरोध प्रदर्शनों ने बातचीत शुरू होने से पहले ही उन्हें पटरी से उतार दिया। तुर्किए की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि रासमस पालूदान को बाकायदा दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी गई और पुलिस की मौजूदगी में ईशनिंदा की यह घटना हुई। घटना से तुर्किए और स्वीडन के बीच कूटनीतिक टकराव गहराता जा रहा है।

तुर्किए के राष्ट्रपति रैसेप तैयब एर्दोगन के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने इसे घृणा अपराध बताया है। उन्होंने लिखा कि “हमारी चेतावनियों के बावजूद इस तरह के कृत्यों की इजाजत देना घृणा अपराध और इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देता है। हमारे पवित्र मूल्यों पर हमला आजादी नहीं बल्कि आधुनिक बर्बरता है।” वहीं ईशनिंदा की इस घटना पर स्वीडन के विदेश मंत्री तोबियास बिल्लस्ट्रोम ने कहा कि वह मुस्लिमों के खिलाफ इस नफरत की निंदा करते हैं और स्वीडन की सरकार और वह खुद इसके समर्थक नहीं हैं, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि उनके देश में कुछ आजादी है। स्टाकहोम में हुई घटना की तुर्किए के साथ ही कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मिस्त्र आदि देशों ने भी निंदा की है।


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बता दें कि नाटो सदस्य बनने के लिए सभी 30 नाटो सदस्यों की अनापत्ति जरूरी होती है। अमेरिका स्वीडन को नाटो का सदस्य बनाने के समर्थन में है लेकिन तुर्किए की आपत्ति स्वीडन की राह में रोड़ा बन रही है। तुर्किए का आरोप है कि स्वीडन कुर्दिस्तान वर्किंग पार्टी का समर्थन करता है, जो कई दशकों से तुर्किए की सरकार के खिलाफ हथियारबंद संघर्ष छेड़े हुए है।

साथ ही तुर्किए ने इसके राष्ट्रपति रेसेप तैयब एर्दोगन के आलोचकों को निर्वासित करने की मांग की है। हालांकि स्वीडन में कई लोगों का मानना है कि तुर्किए की मांगों को मानने से उनके देश में बोलने की आजादी के साथ ही उनकी संप्रभुता से भी समझौता होगा।


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नॉर्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन यानी नाटो 1949 में बना एक सैन्य गठबंधन है, जिसके सदस्य देशों की संख्या वर्तमान में 30 है। इस संगठन के किसी एक सदस्य देश पर हमला पूरे संगठन के देशों पर हमला माना जाता है और इसके बाद सभी देश मिलकर उस देश पर हमला कर सकते हैं। इस संधि का मूल उद्देश्य रूस का यूरोप में विस्तार रोकना था। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे शक्तिशाली देश नाटो के सदस्य हैं।

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