
नई दिल्ली, 30 सितंबर
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और हाल ही में आई भयानक बाढ़ों के कारण हुए भारी नुकसान को देखते हुए राज्य के लिए विशेष पैकेज की मांग की।
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मुख्यमंत्री ने अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात की और बाढ़ पीड़ितों को एस.डी.आर.एफ./एन.डी.आर.एफ. से मुआवजा दिलाने के लिए नियमों में संशोधन की मांग की। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री को बताया कि पंजाब ने दशकों बाद अपनी सबसे भयानक बाढ़ों में से एक का सामना किया है, जिससे 2614 गांवों के 20 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और 6.87 लाख लोग बेघर हो गए हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस आपदा ने व्यापक नुकसान पहुंचाया है, क्योंकि 4.8 लाख एकड़ से अधिक फसलें नष्ट हो गई हैं, 17,000 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, 2.5 लाख से अधिक पशु प्रभावित हुए हैं, और 4657 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें, 485 पुल, 1417 पुलियां और 190 मंडियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नुकसान का प्रारंभिक अनुमान 13,832 करोड़ रुपये है, जिसमें कृषि, बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका का नुकसान शामिल है। उन्होंने कहा कि मौजूदा एस.डी.आर.एफ./एन.डी.आर.एफ. मानदंड नुकसान के वास्तविक पैमाने की पूर्ति के लिए अपर्याप्त हैं। उन्होंने कहा कि जहां फसलों का नुकसान 33 प्रतिशत और उससे अधिक है, वहां गृह मंत्रालय द्वारा प्रति एकड़ 6800 रुपए का मुआवजा दिया जाता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि किसानों को इतना कम मुआवजा देना सरासर अन्याय होगा, क्योंकि फसलें लगभग तैयार थीं। इसलिए, किसानों को कम से कम 50,000 रुपए प्रति एकड़ का भुगतान किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने पहले ही मंत्रालय के समक्ष यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने बताया कि अभी तक इसका कोई जवाब नहीं मिला है, इसलिए राज्य ने मुआवजे को बढ़ाने के लिए अपने स्तर पर राज्य बजट से हिस्सा बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने एस.डी.आर.एफ. नियमों के तहत 26 से 33 प्रतिशत फसल नुकसान के मुआवजे को मौजूदा 2000 रुपए प्रति एकड़ से बढ़ाकर 10,000 रुपए प्रति एकड़, 33 से 75 प्रतिशत फसल नुकसान के मुआवजे को मौजूदा 6800 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए प्रति एकड़, और 75 से 100 प्रतिशत फसल नुकसान के मुआवजे को मौजूदा 6800 रुपए से बढ़ाकर 20,000 रुपए प्रति एकड़ करने का फैसला किया है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को दिए जाने वाले 20,000 रुपए प्रति एकड़ मुआवजे में राज्य सरकार का योगदान 14,900 रुपए होगा, जो पूरे देश में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि पूरी तरह से क्षतिग्रस्त/ढह चुके घरों के लिए मुआवजा मौजूदा 1.20 लाख रुपए से दोगुना करके 2.40 लाख रुपए किया जाना चाहिए। भगवंत सिंह मान ने कहा कि आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों (झुग्गी-झोपड़ियों को छोड़कर) के लिए मौजूदा 6500 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए प्रति घर किया जाना चाहिए, जबकि कच्चे मकानों के लिए मुआवजा मौजूदा 4000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि घरों से सटे पशुओं के बाड़ों के लिए मौजूदा मुआवजा 3000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि पंजाब ने इस साल 1988 के बाद अब तक की सबसे भयानक बाढ़ों का सामना किया है और प्रारंभिक मूल्यांकन के अनुसार, इस प्राकृतिक आपदा के परिणामस्वरूप लगभग 1900 गांव डूब गए हैं, जिससे किसानों को भारी परेशानी हुई है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस आपदा का सबसे अधिक नुकसान किसानों को उठाना पड़ा है, जिसमें लगभग चार लाख एकड़ जमीन पर फसलों का नुकसान हुआ है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरदासपुर, अमृतसर, फाजिल्का, कपूरथला और फिरोजपुर सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं, इसलिए सावन मंडीकरण सीजन 2025-26 के लिए पंजाब को विशेष छूट दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार प्राथमिकता के आधार पर सावन खरीद सीजन 2025-26 के दौरान धान की खरीद के लिए मानकों में छूट दे सकता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है ताकि प्राकृतिक आपदा के कारण हुए भारी नुकसान के अलावा किसानों को किसी अन्य परेशानी का सामना न करना पड़े।
सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को बाढ़ से बचाने के लिए कार्यों के लिए धन के मुद्दे को उठाते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ऐसी जगहें हैं जहां रावी और सतलुज नदियां कई बार अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार करती हैं। उन्होंने कहा कि ये नदियां समय के साथ अपना रास्ता भी बदलती रहती हैं। पंजाब को नदियों के रास्ता बदलने के कारण जमीनों के नदी में बह जाने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है कि किसानों की जमीन और अन्य बुनियादी ढांचे का न्यूनतम नुकसान हो।
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