Kartik Purnima 2023 : यहां ब्रह्मा के पुत्र भृगु ने की थी तपस्या, कार्तिक पूर्णिमा पर लगता ददरी मेला
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सैकड़ो श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में सोमवार को आस्था की डुबकी लगाई। आज ये पर्व पूरे प्रदेश में मनाया जा रहा है। बलिया में कार्तिक पूर्णिमा के स्नान का विशेष महत्व है। स्नान के बाद स्नानार्थी बलिया शहर के स्थित महर्षि भृगु एवं बालेश्वर नाथ के मंदिर का दर्शन करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा से ही बलिया के ऐतिहासिक ददरी मेले की शुरूआत हो जाती है।
मान्यता ये भी है कि साठ हजार वर्षों तक काशी में रहने का जो फल मिलता है, वही फल भृगु क्षेत्र में दर्दर मुनि के संगम स्थल पर स्नान करने से मिलता है। भारत वर्ष में कुल चार क्षेत्र पवित्र व प्रसिद्ध माने गए हैं। महर्षि भृगु ने ही बलिया के लोगो को कृषि करना सिखाया और भृगु संहिता की रचना भी यही किया, अपनी ज्योतिष गणना से जब उन्हें ज्ञात हुआ कि गंगा का पानी साल में कुछ समय बलिया में नही मिलेगा तब उनके आदेश पर उनके शिष्य दर्दर मुनि ने घाघरा नदी को अयोध्या से बलिया लाकर गंगा से मिला दिया. आज भी गंगा और घाघरा के संगम पर मेला लगता है. जिसे दर्दर मुनि के नाम पर दादरी मेला कहते है. इस प्रकार बलिया को महर्षि भृगु ने विकसित किया. इसलिए इसे भृगु क्षेत्र (नगरी) कहते है.