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पंजाब की मुश्किल घड़ी में सिर्फ ₹1,600 करोड़, जबकि बिहार को मिला ₹7,500 करोड़

चंडीगढ़, 26 सितंबर

बाढ़ के मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब के लोग संकट की घड़ी में राज्य के साथ धोखा करने वाले असंवेदनशील और अवसरवादी नेताओं को कभी माफ नहीं करेंगे।
आज यहां पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान बाढ़ पर बहस को समेटते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि बाढ़ के संकट के समय एकजुटता दिखाने के बजाय, राज्य के ये तथाकथित अनुभवी नेता सरकार के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये नेता केवल अपने निजी राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं, जो अनुचित है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि जब राज्य के लोग बाढ़ में राहत और पुनर्वास के लिए दिन-रात प्रयास कर रहे थे, तब ये नेता मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए छटपटा रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विशेष सत्र बाढ़ के बाद राज्य के पुनर्वास पर चर्चा के लिए बुलाया गया था, लेकिन इन नेताओं की संकीर्ण मानसिकता के कारण यह आलोचना तक सिमट गया। उन्होंने कहा कि पंजाब, भाग्यशाली धरती है और यहां सब कुछ खो देने के बाद भी फिर से उभरने की प्रवृत्ति है, लेकिन पीठ में छुरा घोंपने वाले ऐसे नेताओं ने हमेशा इसे बर्बाद करने की कोशिश की है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं भी पंजाबियों की कड़ी मेहनत और दृढ़ इरादों के सामने झुक जाती हैं। उन्होंने पंजाबियों की बहादुरी से अवगत कराने के लिए सरागढ़ी की लड़ाई, लोंगोवाल की लड़ाई और अन्य ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी देश को किसी समस्या या मुश्किल का सामना करना पड़ा है, पंजाब ने ढाल बनकर देश को बचाया है, चाहे वह देश को अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना हो, अपनी सीमाओं की रक्षा करना हो या राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम हो। उन्होंने कहा कि जब पंजाब पर कोई संकट आता है, तो केंद्र सरकार हमारी समस्याओं के प्रति उदासीन रवैया अपनाती है और संकट में पंजाब को अपने हाल पर छोड़ देती है। भगवंत सिंह मान ने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि दीनानगर हमले के बाद पंजाब को भारतीय सेना की लागत चुकाने के लिए कहा गया था, जो सीमा पार से हुए आतंकी हमले को नाकाम करने के लिए पंजाब आई थी।
इस गंभीर संकट की घड़ी में सभी पंजाबियों को एकजुट होने का आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को फिर से खड़ा करना समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो वह पंजाब के लिए प्रधानमंत्री के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन करने से भी नहीं हिचकिचाएंगे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि वह केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग से नहीं डरते और राज्य के हितों की रक्षा के लिए लड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है क्योंकि इतिहास उन सभी को याद रखेगा जिन्होंने इस संकट की घड़ी में राज्य की भलाई के लिए काम किया और जिन्होंने रुकावटें खड़ी कीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वह समय है जब हमें सभी को एक साथ आकर और अपने मतभेद भुलाकर पंजाब और इसके लोगों को इस गंभीर संकट से बाहर निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी नेताओं को अपने प्रभाव का उपयोग करके राज्य के लोगों को इस संकट से बाहर निकालने में मदद करनी चाहिए और यही पंजाब की असली सेवा है। भगवंत सिंह मान ने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों और सभी समाजसेवी लोगों के समर्थन से वह दिन दूर नहीं, जब पंजाब देश में अग्रणी राज्य के रूप में फिर से उभरेगा।
मुख्यमंत्री ने विपक्ष को तंज कसते हुए कहा कि बाढ़ विपक्ष के कहने के अनुसार मानव निर्मित नहीं थी, बल्कि एक प्राकृतिक आपदा थी। उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी कि क्या हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अन्य राज्यों में आई बाढ़ भी उनके नेतृत्व वाली पंजाब सरकार द्वारा योजनाबद्ध थी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि विपक्ष को इस गंभीर संकट की घड़ी, जब राज्य अपनी सबसे बड़ी आपदा का सामना कर रहा है, में राजनीति करने से बचना चाहिए।
बाढ़ के कारण हुई तबाही का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे 2,300 से अधिक गांव डूब गए, 20 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए और पांच लाख एकड़ जमीन में फसलें नष्ट हो गईं। उन्होंने दुख जताया कि इस तबाही में 56 लोगों की जान चली गई और लगभग सात लाख लोग बेघर हो गए। उन्होंने आगे कहा कि 3,200 सरकारी स्कूल क्षतिग्रस्त हो गए, 19 कॉलेज मलबे में बदल गए, 1,400 क्लीनिक और अस्पताल खंडहर बन गए, 8,500 किलोमीटर सड़कें नष्ट हो गईं और 2,500 पुल ढह गए। भगवंत सिंह मान ने कहा कि प्रारंभिक अनुमान के अनुसार कुल नुकसान लगभग 13,800 करोड़ रुपए है, हालांकि वास्तविक आंकड़ा इससे भी अधिक हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने नालियों की सफाई और गाद निकालने का काम अधिक कुशलता से किया है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के दौरान 2066 किलोमीटर नालियों की सफाई की गई थी, जबकि उनकी सरकार ने केवल तीन वर्षों में 3825 किलोमीटर नालियों की सफाई की है। उन्होंने कहा कि वे केंद्र सरकार से भाखड़ा और पौंग बांध से गाद निकालने की जोरदार मांग कर रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश पिछले 70 वर्षों से ऐसा नहीं हुआ है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस साल घग्गर नदी से गाद निकालने के कारण, अधिक पानी होने के बावजूद नदी में बाढ़ की कोई रिपोर्ट नहीं आई।
आई.एम.डी. की भविष्यवाणियों की कड़ी आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस एजेंसी द्वारा की गई सभी भविष्यवाणियां गलत और सच्चाई से कोसों दूर थीं। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक दिन इस एजेंसी की भविष्यवाणी से 1961 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई, जो इस एजेंसी की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि शायद केंद्र सरकार का कोई पसंदीदा अधिकारी, जो इस काम से अच्छी तरह वाकिफ नहीं है, इस कार्यालय का प्रभारी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आपदा बहुत बड़ी थी क्योंकि पौंग बांध में 1988 की तुलना में 60.4 प्रतिशत अधिक पानी आया, जबकि 1988 की बाढ़ के दौरान भाखड़ा बांध में 2.65 प्रतिशत अधिक पानी आया था। इसी तरह, उन्होंने कहा कि रणजीत सागर बांध में 2023 की तुलना में 65.3 प्रतिशत अधिक पानी आया, जो कल्पना से परे है। राज्य आपदा राहत कोष (एस.डी.आर.एफ.), जिसे पहले आपदा राहत कोष के रूप में जाना जाता था, के बारे में बात करते हुए भगवंत सिंह मान ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में, जिनमें 12 साल अकाली-भाजपा और 10 साल कांग्रेस सत्ता में थी, राज्य को 6190 करोड़ रुपए कोष के रूप में प्राप्त हुए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के पास एस.डी.आर.एफ. में 12,000 करोड़ रुपए होने का दावा उन सभी नेताओं की कल्पना है जो अपने निजी राजनीतिक हितों के लिए सरकार की आलोचना करने के अलावा कुछ नहीं सोचते। उन्होंने कहा कि यह अफवाह फैलाई जा रही है कि इसी आधार पर प्रधानमंत्री ने पंजाब के दौरे के दौरान राज्य को केवल 1600 करोड़ रुपए दिए। उन्होंने कहा कि श्री मोदी द्वारा घोषित कोष राज्य के लिए महज एक औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं है क्योंकि पंजाब के 2305 गांव बाढ़ के कारण तबाह हो गए हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि प्रधानमंत्री के 1600 करोड़ रुपये के पैकेज से प्रत्येक बाढ़ प्रभावित गांव को केवल 80 लाख रुपए मिलेंगे, जो बहुत कम राशि है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के दौरे के दौरान भी प्रधानमंत्री ने वास्तविक बाढ़ प्रभावित लोगों से मिलने के बजाय केवल उस कांग्रेस विंग से मुलाकात की, जिसे उन्होंने अपनी पसंद से चुना था। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री को अपने देशवासियों की समस्याओं की जरा भी परवाह नहीं है और वे विदेशी दौरों में व्यस्त हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह देश के लोगों का घोर अपमान और उनके प्रति असंवेदनशील रवैया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के इन विदेशी दौरों और विदेश नीति का कोई परिणाम नहीं निकला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने बाढ़ के कहर से लोगों को बचाकर पहला चरण सफलतापूर्वक पार कर लिया है। उन्होंने उन युवाओं, सेना और अन्य समाजसेवकों का धन्यवाद किया जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की कीमती जिंदगियां बचाईं।


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