भारत

उत्तराखंड के श्रद्धालुओं के लिए ये रहेगा पूजा

Mahashivratri 2023: इस बार महाशिवरात्रि पर तीन अद्भुत संयोग बन रहे हैं। पहला शनि प्रदोष का योग, दूसरा सर्वार्थ सिद्धि योग और तीसरा सूर्य एवं शनि का एक ही राशि में गोचर करना। ऐसे में इस बार महाशिवरात्रि का व्रत करने से शिवभक्तों पर अधिक कृपा बरसेगी।

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि इस बार महाशिवरात्रि का पर्व शनिवार को पड़ रहा है।

यह हैं तीन अद्भुत संयोग

शनिवार का दिन पड़ने से शनि प्रदोष का योग बन रहा है। शनि प्रदोष व्रत अपने आप में बहुत ही खास होता है।शनि प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करने से संतान कामना की पूर्ति होती है।
दूसरा इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी पड़ रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग में कोई भी कार्य करने से पूर्ण सिद्धि प्राप्त होती है।

तीसरा लगभग 30 वर्ष बाद सूर्य और शनि यानी पिता-पुत्र की एक साथ कृपा प्राप्त होगी। क्योंकि सूर्य और शनि एक साथ शनि की कुंभ राशि में गोचर करेंगे।

यह भी पढ़ें ...  फीफा विश्व कप में 'कैमल फ्लू' का खतरा? यहाँ स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है

उन्होंने बताया कि इस दिन व्रत रखकर चार प्रहर भगवान शिव की पूजा करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

साथ ही अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है।
जो भी मनुष्य वर्ष भर कोई व्रत उपवास नहीं कर पाता है उसे केवल शिवरात्रि का व्रत करने से वर्षभर के व्रत उपवास का पुण्य प्राप्त हो जाता है।

इस तरह करें महाशिवरात्रि पर पूजन

शिवरात्रि के व्रत में भगवान शिव का षोडशोपचार पूजन करके गंगा के जल से अभिषेक करना चाहिए।
भगवान शिव को जलधारा अधिक प्रिय होती है, इसलिए शिव का अभिषेक करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

इसके अलावा भगवान शिव को प्रिय वस्तु जैसे-बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि अर्पण करने से भी अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।

पूजा के शुभ मुहूर्त

प्रथम प्रहर की पूजा शाम छह बजकर 20 मिनट से रात्रि नौ बजकर 30 मिनट तक,
दूसरा प्रहर रात नौ बजकर 30 मिनट से रात 12 बजकर 40 मिनट,
तीसरे प्रहर की पूजा रात 12 बजकर 40 मिनट से सुबह तीन बजकर 50 मिनट तक,
चौथे प्रहर की पूजा सुबह तीन बजकर 50 मिनट से सुबह सात बजे तक,

यह भी पढ़ें ...  स्वदेशी मेले में दिखती है भारत की समृद्ध परंपरा की झलक, स्वदेशी वस्तुओं का करें उपयोग: राज्यपाल
रात आठ बजे से होगा शिव का जलाभिषेक

आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि 18 फरवरी को रात लगभग आठ बजे चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी। जो अगले दिन शाम को लगभग चार बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी।ऐसे में चतुर्दशी तिथि के प्रारंभ होने के साथ ही जलाभिषेक भी शुरू हो जाएगा।

इसके अलावा इसी समय से भद्रा प्रारंभ हो जाएगी। लेकिन भद्रा का वास मृत्युलोक में न होने से भद्रा बाधक नहीं होगी। 19 फरवरी को शाम करीब चार बजकर 15 मिनट तक जलाभिषेक किया जा सकता है।

Hindxpress.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरें

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button