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अमृतपाल ने कौम के नाम पर उगला जहर, कहा- मंशा होती तो मुझे घर से गिरफ्तार कर सकते थे

वारिस पंजाब दे का प्रमुख और खलिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह अभी तक पुलिस के हाथ नहीं आया है। वह 18 मार्च से फरार है। कई जगह के सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए, जिनमें अमृतपाल खुलेआम घूमता दिख रहा है। पुलिस और खुफिया एजेंसियों अब तक गिरफ्तार करने में कामायाब नहीं हुई हैं।

बुधवार को पूरे दिन आत्मसमर्पण की चर्चाएं रहीं, लेकिन अमृतपाल ने सरेंडर नहीं किया। हालांकि अमृतपाल फेसबुक पर लाइव आया और फिर से पुलिस को चुनौती दी। उसने कहा कि कोई उसका बाल भी बांका नहीं कर सकता। अमृतपाल की चुनौती के सामने पुलिस विभाग का साइबर सेल भी बेबस है।

आपको बता दें कि खलिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह 18 मार्च को मोगा के सीमावर्ती इलाके कमालके से फरार हुआ था। इस पूरे ऑपरेशन में पंजाब पुलिस के 80 हजार जवानों के अलावा तमाम राजपत्रित अधिकारी, काउंटर इंटेलिजेंस और खुफिया एजेंसी के अधिकारी विफल हुए हैं।

अमृतपाल की तलाश नौ राज्यों में हो रही है। उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश, नेपाल बॉर्डर पर अमृतपाल के पोस्टर लगाकर पुलिस पूरी तरह अलर्ट है। तमाम सीसीटीवी फुटेज भी सामने आ रही हैं, लेकिन अमृतपाल सिंह पुलिस की गिरफ्त से दूर है।

पुलिस को ऐसे चकमा दे रहा अमृतपाल
18 मार्च को अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने के लिए मोगा के कमालके में नाकेबंदी की गई थी। आठ जिलों के एसएसपी के अलावा दो डीआईजी स्तर के अधिकारी और अर्द्धसैनिक बलों की कंपनियां लगी रहीं, लेकिन अमृतपाल सिंह उनके सामने से ही फरार हो गया। 18 मार्च को ही उसने नंगल अंबियां के गुरुद्वारा साहिब में कपड़े बदले और फिर वहां से बाइक पर निकल गया।

21 मार्च को पूर्वी दिल्ली के रमेश पार्क इलाके में दिखा
महितपुर से निकलकर बिलगा से होते हुए लुधियाना पहुंच गया। यहां से पटियाला पहुंच गया। 18 मार्च को ही अमृतपाल हरियाणा के शाहाबाद भी पहुंचा। रात भर बलजीत कौर के घर रुका। 19 मार्च को यहां से भाग निकला। 21 मार्च को पूर्वी दिल्ली के रमेश पार्क इलाके में देखा गया। एक सीसीटीवी फुटेज भी उसका सामने आया है, जिसमें वो बिना पगड़ी के चश्मा पहने चल रहा है, जबकि उसका साथी पपलप्रीत उसके पीछे चल रहा है।

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3 मार्च को लखीमपुर खीरी में मिली अमृतपाल की लोकेशन
सूत्रों के मुताबिक, रमेश पार्क इलाके में अमृतपाल सिंह 21 मार्च को एक महिला के यहां रुका था, जो पपलप्रीत की जानकार है और दोनों की मुलाकात किसान आंदोलन के दौरान हुई थी। 23 मार्च को अमृतपाल सिंह की लोकेशन उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मिली। भारत सरकार से लेकर पंजाब के अधिकारी यह कयास लगाने लगे कि अमृतपाल सिंह नेपाल में दाखिल हो चुका है।

29 मार्च को अमृतपाल सिंह ने वीडियो जारी किया
नेपाल सरकार को भी इस बारे में लिखित जानकारी दी गई। 25 मार्च को एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया था, जिसमें अमृतपाल सिंह कथित तौर पर मोबाइल फोन पर बात करते हुए दिखा। 29 मार्च को अमृतपाल सिंह पपलप्रीत सिंह के साथ फगवाड़ा व होशियारपुर में देखा गया। 29 मार्च को अमृतपाल सिंह ने वीडियो जारी कर लोगों में अपनी बात रखी।

मेरी गिरफ्तारी वाहे गुरु के हाथ में है: अमृतपाल
अपनी फरारी के12वें दिन बुधवार को सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर सरकार और पुलिस को चुनौती दी। वीडियो में काली पगड़ी और शॉल पहने अमृतपाल ने कहा कि मेरा कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। मेरी गिरफ्तारी वाहे गुरु के हाथ में है। वाहे गुरु ने मुझे गिरफ्तार करने के लिए भेजी गई पुलिस से बचाया। अगर राज्य सरकार की गिरफ्तारी करने की मंशा होती तो पुलिस मुझे घर पर आकर गिरफ्तार कर सकती थी। मैं हार मान लेता।

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वीडियो में अमृतपाल ने की पंजाब पुलिस की आलोचना
इस कट्टरपंथी ने सिख युवकों को गिरफ्तार करने के लिए पंजाब पुलिस की आलोचना करते हुए फिर लोगों को भड़काने की कोशिश की। अमृतपाल ने कहा- मैं 18 मार्च के बाद पहली बार रूबरू हो रहा हूं। बिल्कुल ठीक हूं। सरकार ने मजबूर लोगों को जेल में डाला है। हमारे साथियों को असम भेजा है। लोगों पर एनएसए लगाया है। यह जुल्म है।

अमृतपाल ने फिर उगला जहर
इसके खिलाफ आवाज उठाना हमारा कौमी हक है। उसने जहर उगलते हुए कहा- लंबे समय से कौम छोटे-मोटे मसलों पर मोर्चा लगा उलझ रही है। उसने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से बैसाखी पर सरबत खालसा बुलाने की अपील की और कहा कि इसमें देश-विदेश की सिख संगत बढ़ चढ़कर हिस्सा ले।

चाचा ने किया था आत्मसमर्पण
अमृतपाल सिंह के फिर से पंजाब में होने की खबर कई सवाल भी खड़े कर रही है। दरअसल, यह बात तमाम अधिकारियों की समझ से परे है कि अमृतपाल सिंह इतने राज्यों को क्रॉस कर कैसे वापस आ गया। अमृतपाल का चाचा भी भागा था, लेकिन बाद में सरेंडर कर दिया था। यही नहीं, पुलिस ने 18 मार्च से अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। तब अमृतपाल सिंह फरार हुआ, लेकिन पुलिस ने उसके जिन साथियों को पकड़ा, उनसे अमृतपाल सिंह को लेकर ठोस पूछताछ किए बिना ही उन्हें असम की जेल भेज दिया गया।

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