पंजाबराज्य

जेलों में बंद कैदी नशा छोड आत्मनिर्भर बनकर समाज के लिए बनेंगे रोल मॉडल -डॉ. बलबीर सिंह

चंडीगढ़, 9 नवंबर: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा पंजाब की जेलों में सुधार लाने के लिए इनको सुधार केंद्र बनाने के संकल्प के साथ पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने राज्य की जेलों में मैंटल हैल्थ इंटरवैंशन प्रोग्राम शुरू किया।

चंडीगढ़ म्युनिसिपल भवन सैक्टर-35 में करवाए गए राज्य स्तरीय समारोह के दौरान प्रोग्राम का आग़ाज़ करते हुए डॉ. बलबीर सिंह ने बताया कि इस पहल से पंजाब की चार जेलें लुधियाना, गुरदासपुर, पटियाला और अमृतसर में कैदियों को स्क्रीनिंग, काउंसलिंग और रैफरल सेवाएं प्रदान की जाएंगी।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि यह प्रोजैक्ट जल्द ही पंजाब की सभी जेलों में लागू किया जायेगा। वल्र्ड हैल्थ पार्टनर्स के सहयोग से इन केन्द्रों में काउंसलर भर्ती किये गए हैं, जो जेल में नजऱबंद व्यक्तियों और कैदियों की मानसिक सेहत में सुधार लाने के उद्देश्य से उनकी काउंसलिंग करेंगे।

डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि यह पहल मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 को लागू करने सम्बन्धी हमारी प्रतिबद्धता को और अधिक मज़बूत करेगी, जिससे हर राज्य सरकार के लिए जेलों के मेडिकल विंग में मानसिक स्वास्थ्य सुविधा होना अनिवार्य हो जायेगी।

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कैदियों को दरपेश मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बताते हुए डॉ. बलबीर सिंह कहा कि खुदकुशी कैदियों के दरमियान मानसिक रोगों का मुख्य कारण है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में बताया है कि भारत में कैदियों में अप्राकृतिक मौतों का बड़ा कारण खुदकुशी है। समिति ने बताया कि जेलों में हुई 817 अप्राकृतिक मौतों में से 660 खुदकुशियां हैं, जोकि काफ़ी चिंताजनक है।

डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि कैदियों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ न केवल उनकी तंदुरुस्ती को प्रभावित करती हैं बल्कि इस कारण रोज़ाना जेलों से मोबाइल फ़ोन, नशीले पदार्थ बरामद होते हैं। इस प्रयास से जेलों में से अब अच्छी खबरें आनी शुरू हो जाएंगी और कैदियों को प्रशिक्षण देकर उनकी मानसिक सेहत में सुधार करके उनको आत्मनिर्भर बनाया जायेगा।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने बताया कि जेलों में बंद 25000 कैदियों में से 14000 कैदी एनडीपीएस एक्ट के अंतर्गत सजा भुगत रहे हैं। ऐसे सभी कैदी नशा-तस्कर नहीं हैं, बल्कि नशों की आदत के कारण जेलों में बंद हैं। इन नशों की लत के शिकार कैदियों को जेलों में भेजने की बजाय यदि उनकी मानसिक सेहत में सुधार करके नशा मुक्ति केन्द्रों में भेजा जाये तो जेलों का बोझ काफ़ी हद तक कम हो सकता है। जेलों में बंद कैदी नशा छोडक़र और आत्मनिर्भर बनकर समाज के लिए रोल मॉडल बनेंगे।

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