सैंकड़ों वर्ष पुरानी गायन शैलियों से गूंज उठा केयू ऑडिटोरियम…
कुरुक्षेत्र, 31 अक्टूबर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आयोजित रत्नावली समारोह में गायन शैलियों का आयोजन केयू ऑडिटोरियम हॉल में किया गया, जिसमें प्रसिद्ध सांगी सूरज बेदी, राममेहर, इंद्र सिंह लाम्बा तथा निरंजन दास ने 35 से अधिक गायन शैलियों को गाकर 150 साल पुरानी संस्कृति को ऑडिटोरियम के मंच पर फिर से पुनर्जीवित कर दिया। कार्यक्रम का संचालन युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक डॉ. महासिंह पूनिया ने किया। उन्होंने हरियाणा में गायन शैलियों के इतिहास का ब्यौरा देते हुए मंच पर उनकी परम्पराओं के विषय में विस्तार से जानकारी दी और उसके पश्चात गायन शैलियों में गंगा स्तुति, शिव स्तुति, माता स्तुति, हाथरसी चमौला, बहरेतबील, सोहणी, थानेसरी चमौला, सर्राफा, लावणी,ं झूलणा, पानीपती चमौला, ढोला, अहमदबख्श, सरस्वती स्तुति, राधेश्याम, आल्हा, शाका, बारामासा, दौड, तूड, पैड़-पैड़, उलटबासी आदि गायन शैलियों के माध्यम से संगीतमय वातावरण की ऐसी स्वर लहरियां गूंजायमान हो उठी कि श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो उठे।
इस अवसर पर युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के पूर्व निदेशक अनूप लाठर, ऑस्ट्रेलिया से हमारे बीच में पहुंचे एएचए के प्रधान सेवा सिंह, विजय रेहडू, अमरदीप, सतीश खत्री, प्रो. नवनीत बहल, डॉ. रीटा दलाल, प्रो. कुसुम, डॉ. हरविन्द्र सिंह लौंगोवाल, डॉ. संजय त्यागी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति एवं श्रोता विद्यमान रहे।