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सरकारी अंग्रेजी स्कूल में एक दिन के अंतराल में पढ़ाई कर रहे 896 विद्यार्थी दो कमरे और एक हॉल में कक्षाएं

सरकारी अंग्रेजी स्कूल में एक दिन के अंतराल में पढ़ाई कर रहे

सरकारी राजधानी के नए आत्मानंद अंग्रेजी स्कूलों में भले ही हाईटेक क्लासरूम, लैब समेत अन्य सुविधाएं हैं, लेकिन पुराने सरकारी इंग्लिश स्कूलों की हालत और खराब होती जा रही है। शासकीय प्राथमिक शाला विवेकानंद स्कूल जो जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से कुछ दूरी पर ही है, वहां पहली से पांचवीं में 896 छात्र हैं। यहां क्लासरूम के नाम पर सिर्फ दो कमरे और एक हॉल है।

छात्र संख्या ज्यादा होने की वजह से बारी-बारी छात्रों की कक्षाएं लग रही हैं। एक ग्रुप के छात्र सोमवार को आते हैं तो दूसरे मंगलवार को। यह स्थिति पिछले साल यानी 2021 से बनी हुई है। इसके बावजूद छात्रों के लिए अभी तक वहां कोई बेहतर व्यवस्था नहीं की गई है।

राज्य में अभी स्वामी आत्मानंद योजना से 276 अंग्रेजी और 32 हिंदी मीडियम स्कूल संचालित हो रहे हैं। अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 2017-18 में राज्य में 153 सरकारी अंग्रेजी मीडियम स्कूल शुरू किए गए थे। रायपुर जिले में इन स्कूलों की संख्या 13 है।

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पड़ताल में पता चला इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर ठोस योजना ही नहीं बनीं

दैनिक भास्कर की पड़ताल में पता चला कि शुरुआत से ही इन स्कूलों में ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इन स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर को अच्छा बनाने के लिए कभी भी ठोस योजना पर काम ही नहीं किया गया। जैसे-तैसे यह स्कूल संचालित हो रहे हैं।

कोरोना के समय पुराने सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या काफी कम थी। लेकिन पिछले साल से ही इन स्कूलों में छात्रों की संख्या लगभग दोगुना हो गई है। इसकी मुख्य वजह है कि कोरोना के दौरान कई प्राइवेट स्कूल बंद हो गए। वहां के बच्चों ने सरकारी अंग्रेजी स्कूलों में एडमिशन लिया है।

इसी तरह कई कई बच्चों ने फीस ज्यादा होने की वजह से निजी स्कूल छोड़कर इन स्कूलों में दाखिला ले लिया। जिले में सबसे ज्यादा एडमिशन शासकीय प्राथमिक शाला विवेकानंद नगर में हुए। सीट निर्धारित नहीं होने की वजह से सभी छात्रों को एडमिशन दे दिया गया।

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पुराने इंग्लिश स्कूलों में बच्चों को किताबें तक नहीं मिलती

स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल अभी स्टेट बोर्ड से संबद्ध है। लेकिन पुराने सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल सीबीएसई से जुड़े हैं। राज्य शासन की योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को दसवीं तक मुफ्त किताबें दी जाती हैं।

लेकिन पुराने सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल के बच्चों को किताबें तक नहीं मिल रही हैं। इस सत्र के लिए अभी तक प्राइमरी में कुछ कक्षाओं की किताबें तक नहीं बंट पाई हैं। इस वजह से कक्षाओं में बिना किताबों के भी पढ़ाई हो रही है। इसलिए यहां पढ़ रहे बच्चों के भविष्य को लेकर भी अब कई सवाल उठने लगे हैं। गौरतलब है कि पुराने सरकारी स्कूलों में प्राइमरी व मिडिल स्कूल संचालित हो रहे हैं।

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