पंजाब में असंवैधानिक ढंग से 6 महीने पहले नगर पंचायतें भंग करके , आम आदमी पार्टी ने लोकतांत्रिक ढाँचे को कमज़ोर करने का काम किया है, यह पंजाब के लोगों के साथ विश्वासघात है , पंजाबियों की अस्मिता पर वार है, नगर पंचायतें स्थानीय सरकार की एक महत्वपूर्ण इकाई हैं, और उनकी समाप्ति से स्थानीय लोगों की भागीदारी और अधिकारों को सीमित किया जा रहा है, पंजाब सरकार का लोकतंत्र के प्रति यह रवैया किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा ।
नक़ाबपोश का असली चेहरा सबके सामने है, पूरे देश में संविधान का हवाला दे कर दिल्ली अध्यादेश पर सहानुभूति माँगने वाली पार्टी, पंजाब में सांविधानिक मूल्यों की धज्जियाँ उड़ा रही है , चुनाव से पहले सरपंचों और पंचों का वित्तीय सशक्तिकरण का वादा कर सत्ता में विराजमान भगवंत मान , आज उसी संघीय ढाँचे की नींव को अपने हाथ की कठपुतली बनाने पर अग्रसर है , केवल पिछले सरकार के काम पर अपने नीव पत्थर लगाकर सत्ता में विराजमान रहने के मक़सद से लोगों को गुमराह करने की कोशिश कभी सफल नहीं हो सकती ।
कांग्रेस सरकार द्वारा 73 वे और 74 वे सांविधानिक संशोधन में जहां पंचायती राज को सांविधानिक ताक़त दी, वहीं पंचायत के अधिकारों को क़ानूनी सुरक्षा भी प्रदान की, संविधान के अनुच्छेद 243 G में पंचायती राज को स्थानीय स्वशासन के केंद्र के तौर पे स्थापित किया गया है , पंजाब के मुख्यमंत्री आज उन्हें अजनतंत्रवादी ठंग से राज्य सरकार का ग़ुलाम बनाना चाहते है
यह जंग पंजाब के 13000 से अधिक गाँवों की जंग है , सड़क से अदालत तक चुने हुए नुमाइंदों की इस जंग में अंत तक लड़ाई लड़ूँगा , पंजाब के विकास का मार्ग इन 13000 गाँवों से होकर निकलता है, यह ख़ुदमुक्तियारी की जंग है ।