उत्तर प्रदेश

गोरखपुर में वक्फ संपत्तियों की डीड भी हुई, घर बन गए, जानिए पूरा मामला

वक्फ के लिए दान की गई संपत्तियों का भी समय बीतने के साथ बैनामा होता गया। शहर में बड़ी संख्या में ऐसी जमीन पर कई मकान बन गए हैं। ऐसे मकान भी हैं जहां लोग दो से तीन पीढ़ियों से रह रहे हैं। तहसील में तथ्य छिपाकर ऐसी जमीन के बैनामे किए गए।

आज स्थिति यह है कि वक्फनामे के आधार पर अल्पसंख्यक विभाग वक्फ की संपत्ति होने की बात तो कह सकता है, लेकिन राजस्व से जुड़े कोई अभिलेख उनके पास नहीं हैं।

अवध के नवाब आसिफुद्दौला ने वक्फ के लिए दी थी संपत्ति

अवध के नवाब आसिफुद्दौला ने 18वीं शताब्दी में किए वक्फनामे में ‘मुकम्मल मियां बाजार’ लिखकर संपत्ति दान की थी। इसका मतलब हुआ कि संपूर्ण मियां बाजार वक्फ में था,

लेकिन कालांतर में यहां की जमीन बिकती गई और दूसरे लोगों के नाम दर्ज होते गए। इस कालोनी में वक्फ के नाम पर इमामबाड़ा व कुछ अन्य संपत्तियां बची हैं। दूसरी जगहों पर विधिक रूप से अन्य लोग निवास कर रहे हैं।

यहां भी वक्फ के नाम दर्ज है जमीन

इसी तरह डोमिनगढ़ में भी 39 एकड़ जमीन वक्फ में दर्ज है, लेकिन वहां भी मौके की स्थिति पूरी तरह से बदली हुई नजर आती है। कई मकान बन चुके हैं और सबके नाम भी राजस्व अभिलेखों में दर्ज हैं। बहरामपुर का मामला समय-समय पर प्रकाश में आता रहता है। यहां वक्फ की जमीन पर कब्जे की बात है।

इसकी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) द्वारा जांच भी की जा रही है। करीब दो दशक से चल रही जांच में सभी दस्तावेज सीबीआइ के कब्जे में हैं, लेकिन इस क्षेत्र में अभी भी बैनामे होते रहते हैं।

सुन्नी वक्फ की हैं अधिकतर संपत्तियां

गोरखपुर में वक्फ की कुल 1446 संपत्तियां हैं। इसमें से 1444 संपत्ति सुन्नी वक्फ की है। केवल दो संपत्ति शिया वक्फ की है। इनका संचालन दो तरह से किया जा रहा है।

एक में वक्फनामा करने वाले लोगों की पीढ़ियां ही समिति बनाकर संचालन करती हैं, तो दूसरे में कोई भी समिति संचालन कर सकती है।

क्या कहते हैं अधिकारी

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी आशुतोष पांडेय ने बताया कि वक्फ में दर्ज संपत्तियां काफी पुरानी हैं। वक्फ के समय जो बातें दर्ज की गई थीं, उसके मुताबिक वर्तमान स्थिति बदल चुकी है। कई स्थानों पर मकान बने नजर आते हैं।

Sapna

Sapna Yadav News Writer Daily Base News Post Agency Call - 9411668535, 8299060547, 8745005122 SRN Info Soft Technology www.srninfosoft.com

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