
उज्जैन (मध्य प्रदेश): चंद्र ग्रहण के बाद महाकालेश्वर मंदिर को पवित्र नदियों के पानी से धोया गया और भस्म आरती की गई। बता दें कि शरद पूर्णिमा के मौके पर साल का आखिरी चंद्र ग्रहण शनिवार 28 अक्टूबर की रात 11 बजकर 31 मिनट पर आंशिक रूप से शुरू हुआ था। यह ग्रहण पूर्ण नहीं बल्कि आंशिक था, जिसे खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहा गया। भारत में लोग ग्रहण को रात एक बजकर 05 मिनट के बाद ही देख पाए। इस ग्रहण का सूतक काल शाम 4 बजकर 05 मिनट से शुरू हो गया था।
#WATCH उज्जैन (मध्य प्रदेश): चंद्र ग्रहण के बाद महाकालेश्वर मंदिर को पवित्र नदियों के पानी से धोया गया और भस्म आरती की गई। pic.twitter.com/ZdYhVXunRJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 29, 2023
दरअसल चंद्र ग्रहण को अशुभ काल माना जाता है। इसलिए ग्रहण से पहले लगने वाले सूतक और ग्रहण के दौरान कई चीजों पर पाबंदी होती है। ग्रहण का काल ऐसा होता है कि मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ भी मना की जाती है। हालांकि, अगर कोई पाठ-पूजा करना चाहता है तो ग्रहण के दौरान किसी भी भगवान की मूर्ति को न छूने की सलाह दी जाती है।