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प्रकृति का समझदारी से दोहन करना होगा : MP CM श्री चौहान

प्रकृति का समझदारी से दोहन करना होगा : MP CM श्री चौहान CM SHIVRAJ SINGH CHOUHAN ने कहा है कि भारतीय संस्कृति एकात्मतावादी है। विश्व में जब कई सभ्यताएँ मिट रही थी, तब हमारे देश में वेदों की ऋचाएँ रची जा रही थी। वसुधैव कुटुंबकम हमारी धरती से ही उपजा है। सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया के सूत्र वाक्य से हमारे ऋषि-मुनियों ने बताया है कि विश्व में किस तरह से सुख और शान्ति से रहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमने प्रकृति का शोषण कर प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ दिया है।  के साथ संसाधनों का दोहन करना ही इस सृष्टि की रक्षा करेगा। उन्होंने कहा कि आज सुजलाम कॉन्फ्रेंस में जल तत्व के बारे में जो विचार एवं कार्य-योजना बनेगी, उसी पर राज्य सरकार कार्य करेगी।

MP CM SHIVRAJ कहा कि मध्यप्रदेश की धरती पर हमने जल-संरक्षण का प्रयास किया है और विगत वर्षों में 4 लाख से अधिक जल संरचनाएँ तैयार की गई हैं। प्रदेश की जनअभियान परिषद ने 313 नदियों को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री ने आहवान किया कि पानी का संतुलित उपयोग करें, पानी को बचायें, आर्गेनिक खेती करें और पर्यावरण को बचायें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि धरती को बचाना ही होगा, तभी हमारा अस्तित्व बचेगा। पंचभूतों का संतुलन यदि नहीं रहेगा तो धरती का संतुलन बिगड़ जायेगा।

CM CHOUHAN आज उज्जैन में जल की पवित्रता पर भारतीय और देशज विमर्श तैयार करने और इसके वैज्ञानिक पहलुओं को विश्व पटल पर रखने के लिये मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद द्वारा आयोजित पंच महाभूतों (आकाश, जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी) को समर्पित तीन दिवसीय सुजलाम कॉन्फ्रेंस का उदघाटन कर संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में 313 नदियों से एकत्रित किये गये जल को आम के पेड़ पर अर्पित किया गया।

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केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि हमारे देश में सन्तों ने इस सभ्यता को बचाने के लिये अपना सम्पूर्ण जीवन दे दिया है। देश में पेड़-पौधों तक की रक्षा के लिये धर्म का बंधन लगाया गया है। जिस देश में जल को जगदीश मानने की परम्परा थी, उस देश में ही आज जल-स्त्रोत सर्वाधिक प्रदूषित हैं। हमें अब इस पर विचार करना चाहिये कि वर्ष 2050 में हम अपने लोगों को अन्न और जल की उपलब्धता कैसे करवायेंगे। श्री शेखावत ने कहा कि हम सब सौभाग्यशाली हैं कि पंचभूतों की अवधारणा हमारे देश में विकसित हुई। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे अभियान से मात्र 5 वर्षों में सम्पूर्ण गंगा नदी के पानी को स्नान योग्य बना दिया गया है। आने वाले समय में सभी के लिए जल की निर्बाध उपलब्धता हमारी सबसे बड़ी चुनौती है।

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