दिल्ली

असमानता: संपत्ति उत्तराधिकार कानून में पुरुषों को क्यों तरजीह…हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया

केंद्र सरकार से अधिनियम में लैंगिक भेदभाव पर कोर्ट ने जवाब मांगा है। संबंधित कानून को नेशनल ला स्कूल के छात्र ने चुनौती दी है। एडवोकेट सार्थक गुप्ता के माध्यम से याचिका दाखिल करते हुए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधान को चुनौती दी है।

संपत्ति उत्तराधिकार अधिनियम में लैंगिक भेदभाव और पुरुषों को वरीयता देने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब तलब कर लिया है। नेशनल लॉ स्कूल के छात्र दक्ष कादियान ने एडवोकेट सार्थक गुप्ता के माध्यम से याचिका दाखिल करते हुए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधान को चुनौती दी है।

जनहित याचिका के माध्यम से याची ने बताया कि प्रावधानों के अनुसार यदि घर के मुखिया की मौत हो जाती है। ऐसी स्थिति में पहली श्रेणी के उत्तराधिकारियों को प्राथमिकता दी जाती है जिसमें बेटा, बेटी, पोता-पोती आदि शामिल हैं। यदि पहली श्रेणी के उत्तराधिकारी नहीं हैं तो दूसरी श्रेणी को मौका दिया जाता है।

इसमें पुरुष रिश्तेदार को ही प्राथमिकता दी जाती है, यानी उसकी संपत्ति का उत्तराधिकारी पहले उसका भाई होता है। वहीं, तीसरी श्रेणी की बात करें तो बेटे की बेटी का बेटा या बेटे की बेटी की बेटी में से महिला को प्राथमिकता मिलती है। ऐसे में बेटे की बेटी की बेटी पूरी प्राॅपर्टी की हकदार होगी, जबकि बेटे की बेटी का बेटा हकदार नहीं होगा।

याची ने कहा कि इस प्रकार लिंग के आधार पर भेदभाव करना सीधे तौर पर सांविधानिक प्रावधानों के खिलाफ है। याची ने यह भी बताया कि जब करीबी रिश्तेदारों में प्रॉपर्टी के बंटवारे की बात आती है तो वहां पुरुष रिश्तेदारों को ही प्राथमिकता दी जाती है। ऐसे में प्रावधान लिंग के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने वाला होना चाहिए। हाईकोर्ट ने याची का पक्ष सुनने के बाद केंद्र सरकार से जवाब तलब कर लिया है।

Sapna

Sapna Yadav News Writer Daily Base News Post Agency Call - 9411668535, 8299060547, 8745005122 SRN Info Soft Technology www.srninfosoft.com

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