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Delhi Budget: 78,800 करोड़ रुपये के दिल्ली बजट ने दिखाए बड़े सपने, भाजपा ने पूछा- पिछले वादों का क्या हुआ

Delhi Budget वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने बुधवार को दिल्ली का 78,800 करोड़ रुपये का बजट विधानसभा में पेश कर दिया। बजट में दिल्ली के विकास पर फोकस किया गया है और राजधानी को साफ-सुंदर बनाए रखने, कूड़े के पहाड़ खत्म करने, फ्लाईओवर-अस्पताल बनाने, नई ई-बसें लाने के साथ-साथ युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उपाय करने का प्रावधान किया गया है।

25 फीसदी ऊर्जा आवश्यकताओं को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने और सीवेज ट्रीटमेंट व्यवस्था में सुधार करने का लक्ष्य निर्धारित कर सरकार ने पर्यावरण की स्थिति को ध्यान रखते हुए आगे कदम बढ़ाने का संकेत दिया है।

हालांकि, स्वास्थ्य पर बजट कम कर सरकार ने विपक्ष को आलोचना करने का अवसर दे दिया है। भाजपा ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल ने अपनी राजनीति की शुरुआत सुनहरे सपने दिखाने के साथ की थी, लेकिन इसमें से एक भी अब तक पूरा नहीं हो पाया। इस बजट से भी उसे बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है।

अब तक दिल्ली सरकार का बजट मनीष सिसोदिया पेश करते आए थे। वे दिल्ली का बजट आठ बार पेश कर चुके हैं। 26 फरवरी को उनकी गिरफ्तारी के बाद वित्त मंत्री बनाए गए कैलाश गहलोत ने आम आदमी पार्टी सरकार का नौवां बजट पेश किया। इसमें उन्होंने उस दिशा को बरकरार रखने की कोशिश की है, जो अरविंद केजरीवाल की राजनीति का प्रमुख आधार रहा है। इस बजट में भी दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की बात कही गई है।

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मनीष सिसोदिया ने इस बजट को तकनीकी तौर पर भले ही नहीं पेश किया हो, लेकिन अपनी गिरफ्तारी से पहले वे बजट बनाने की प्रक्रिया लगभग पूरी कर चुके थे। शायद यही कारण है कि दिल्ली सरकार के इस बजट में भी उनकी दिशा को बरकरार रखा गया है। सरकार ने शिक्षा-स्वास्थ्य को अपनी पहली प्राथमिकता बताया है। सरकार ने नौ नए अस्पताल बनाने का भी वादा किया है।

जिस तरह सरकार ने दिल्ली की कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का 25 फीसदी हरित ऊर्जा क्षेत्र से प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, यह दुनिया की भविष्य की चुनौतियों और कॉप 26 में भारत के द्वारा किए गए वादों के अनुरूप कहा जा सकता है, जिसमें धीरे-धीरे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की तरफ बढ़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। नई ई-बसें लाने से भी दिल्ली को साफ सुथरा बनाने और प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।

क्या मानक तैयार कर पाएंगे केजरीवाल

कूड़े के पहाड़ दिल्ली की पहचान बन गए हैं। पूरी दुनिया में यह बड़ी समस्या का कारण है। लेकिन जर्मनी, नीदरलैंड और नार्वे जैसे देशों ने यह दिखाया है कि यदि सही इच्छाशक्ति हो तो तकनीकी के उपयोग के द्वारा इस बड़ी समस्या से निपटा जा सकता है। यदि केजरीवाल सरकार ऐसा कर पाने में कामयाब होती है, तो वह देश में अपने मॉडल के सहारे तेजी से लोकप्रिय हो सकती है, लेकिन इस कार्य में असफलता उसके लिए नई आलोचनाओं का द्वार खोल देंगे।

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भाजपा ने बताया सफेद हाथी

विधानसभा में गतिरोध पैदा करने के आरोप में सदन से एक साल के लिए निष्कासित किए गए भाजपा नेता विजेंदर गुप्ता ने कहा है कि दिल्ली सरकार का बजट सफेद हाथी के समान है, जिसका दिखावा तो बहुत किया जाता है और उसके पालने में बहुत खर्च भी होता है, लेकिन वह किसी काम का नहीं होता। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने अपने हर विभाग में भ्रष्टाचार कर यह साबित कर दिया है कि उसके लिए बजट का अर्थ दूसरे लोगों से बिल्कुल अलग है।

विजेंदर गुप्ता ने कहा कि बजट में केवल आंकड़ों की बाजीगरी की गई है। अरविंद केजरीवाल सरकार को बताना चाहिए कि उसने अपने पहले बजट से ही दिल्ली में पानी की व्यवस्था करने, यमुना की साफ-सफाई करने और दिल्ली में 500 नए स्कूलों को खोलने का जो वादा किया था, आज तक उसका क्या हुआ। उन्होंने कहा कि यही दिल्ली सरकार अभी चंद दिन पहले निगमों को पैसा नहीं देती थी, अब उसने निगमों को धन देकर कूड़े के पहाड़ खत्म करने की बात कही है।

उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली सरकार ने अपने आठ साल से ज्यादा के कार्यकाल में यमुना को साफ करके दिखाया होता,, तो उसके कूड़े के पहाड़ खत्म करने के दावे पर भरोसा किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि नए वादों का हाल भी इसी तरह का होगा।

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