नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बेटी को अपनी शिक्षा जारी रखने का मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने गुरुवार को एक दंपति के विवाद को लेकर सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बेटी को अपने माता-पिता से पढ़ाई के लिए खर्च वसूलने का पूरा अधिकार है। अदालत ने जोर देते हुए कहा कि बेटी की पढ़ाई के लिए माता-पिता को अपने वित्तीय संसाधनों की सीमा के भीतर आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराने के लिए बाध्य किया जा सकता है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने यह टिप्पणी वैवाहिक विवाद के एक मामले में की, जिसमें 26 साल से अलग रह रहे दंपति की बेटी ने अपनी मां को दिए जा रहे कुल गुजारा भत्ते के एक हिस्से के रूप में अपने पिता द्वारा उसकी पढ़ाई के लिए दिए गए 43 लाख रुपए लेने से इनकार कर दिया। दंपति की बेटी आयरलैंड में पढ़ाई कर रही है। बेंच ने अपने आदेश में कहा कि बेटी होने के नाते उसे अपने माता-पिता से शिक्षा का खर्च प्राप्त करने का अपरिहार्य, कानूनी रूप से लागू करने योग्य और वैध अधिकार है।
हमारा मानना है कि बेटी को अपनी शिक्षा जारी रखने का मौलिक अधिकार है और इसके लिए माता-पिता को अपने वित्तीय संसाधनों की सीमा के भीतर आवश्यक धनराशि प्रदान करने के लिए बाध्य किया जा सकता है। आदेश में कहा गया है कि दंपति की बेटी ने अपनी गरिमा बनाए रखने के लिए राशि लेने से इनकार कर दिया था और उनसे (पिता) पैसे वापस लेने को कहा था, लेकिन उन्होंने (पिता ने) इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा कि बेटी कानूनी तौर पर इस राशि की हकदार है। पीठ ने अलग रह रहे दंपति की ओर से 28 नवंबर, 2024 को किए गए समझौते का उल्लेख किया, जिस पर बेटी ने भी हस्ताक्षर किए थे। अदालत ने कहा कि पति अपनी अलग रह रही पत्नी और बेटी को कुल 73 लाख रुपए देने पर सहमत हो गया था, जिसमें से 43 लाख रुपए उनकी बेटी की शैक्षणिक जरूरतों के लिए और बाकी पत्नी के लिए थे। पीठ ने कहा कि चूंकि पत्नी को उसका 30 लाख रुपए का हिस्सा मिल चुका है