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घरेलू हिंसा के लंबित मामलों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र से राज्यों के प्रधान सचिवों की बैठक बुलाने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा के लंबित मामलों पर नाराजगी जाहिर की है। शीर्ष न्यायालय ने महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने वाले कानून को लागू करने से जुड़ी समस्याओं पर गौर करने के लिए केंद्र से सभी राज्यों के प्रधान सचिवों की बैठक बुलाने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि जुलाई 2022 तक देश में घरेलू हिंसा के चार लाख 71 हजार मामले लंबित थे, जो काफी दुखद है।

अधिकारियों की नियुक्ति में कमी निराशाजनक

शीर्ष अदालत ने घरेलू हिंसा कानून के तहत संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि इनकी संख्या निराशाजनक है।

जस्टिस एसआर भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि एक जिले के लिए ऐसे एक अधिकारी का होना काफी अपर्याप्त होगा क्योंकि उनमें से प्रत्येक लगभग 500-600 मामलों को संभालेगा।

पर्याप्त बुनियादी ढांचे पर गहनता से विचार हो

वैवाहिक घरों में प्रताड़ित महिलाओं को प्रभावी कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए देश भर में पर्याप्त बुनियादी ढांचे और उनके लिए शेल्टर होम की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह बाते कहीं। पीठ ने कहा कि इन परिस्थितियों में यह आवश्यक होगा कि देशभर में इस पहलू पर गहनता से विचार हो।

शीर्ष अदालत ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव को इस मुद्दे से निपटने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों की बैठक बुलाने का निर्देश दिया।

मिशन शक्ति” के कार्यान्वयन पर भी रिपोर्ट तलब

प्रीम कोर्ट ने कहा कि बैठक में वित्त, गृह और सामाजिक न्याय मंत्रालयों के सचिव और राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) के अध्यक्षों के नामितों को भी भाग लेना चाहिए। कोर्ट ने पहली बैठक को तीन सप्ताह के भीतर बुलाने को भी कहा।

पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि एक एकीकृत महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम “मिशन शक्ति” के कार्यान्वयन के संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट भी रिकॉर्ड पर रखी जाए।

Sapna

Sapna Yadav News Writer Daily Base News Post Agency Call - 9411668535, 8299060547, 8745005122 SRN Info Soft Technology www.srninfosoft.com

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