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मान और पुरोहित में विवाद कायम

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राज्यपाल बनवारी लाल चंडीगढ़ पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच हो रहे पत्राचार से एक बार फिर राजभवन और मुख्यमंत्री कार्यालय की तलखी बढ़ गई है।

पंजाब में आप सरकार के गठन के बाद से ही राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। राज्यपाल के आक्रामक होने के बाद जिस प्रकार मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को दो टूक शब्दों में उनके चयन की प्रक्रिया संबंधी पूछा है, उससे साफ है कि यह कड़वाहट अभी और बढ़ेगी।

राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित जहां उन्हें संविधान में मिली अपनी शक्तियों का हवाला देकर बात कर रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री केवल चुनावी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।

निश्चित रूप से इस कड़वाहट का खामियाजा पंजाब के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। संविधान की धारा 167 में स्पष्ट है कि राज्यपाल मुख्यमंत्री से कामकाज संबंधी जानकारी ले सकता है। यही नहीं, राज्यपाल के यूनिवर्सिटियों के चांसलर होने के कारण वहां वाइस चांसलर को नियुक्त करने का अधिकार भी उनके पास है।

सरकार का काम केवल उन्हें पैनल भेजने का है। राजभवन और मुख्यमंत्री के बीच बढ़ी कड़वाहट के कारण बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर का पद पिछले आठ महीने से खाली पड़ा है।

सरकार ने हृदय रोग विशेषज्ञ डा. जीएस वांडर के नाम का चयन करके राज्यपाल को भेजा था, लेकिन राज्यपाल ने उन्हें पैनल भेजने के लिए कह दिया, तब से यह पद खाली पड़ा है। ऐसे ही पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वीसी डा. सतबीर सिंह गोसल को नियुक्त करने के मुद्दे पर भी राज्यपाल और मुख्यमंत्री में ठनी हुई है।

भले ही डा. गोसल इस पद पर काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पद से हटाने की तलवार अब भी लटकी हुई है। पंजाब में मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच कड़वाहट राज्य के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।

यदि दोनों के बीच संबंध अच्छे हों तो इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसका एक उदाहरण 2004 में उस समय मिला जब तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एसवाईएल नहर पर सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को देखते हुए पड़ोसी राज्यों के साथ हुए सभी नदी जल समझौतों को रद कर दिया था।

Sapna

Sapna Yadav News Writer Daily Base News Post Agency Call - 9411668535, 8299060547, 8745005122 SRN Info Soft Technology www.srninfosoft.com

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