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हरियाणा में एक ऐसा गुरुद्वारा, जिसे छू कर निकल जाती है युमना नदी

गुरु के प्रकाश को देखकर आग बढ़ जाती यमुना, बाढ़ में डूबे इंद्री खंड के कई गांव, लेकिन यमुना नदी से सटे गुरुद्वारे में कभी नहीं गया पानी, गुरुद्वारे से 50 मीटर की दूरी पर बहती है यमुना, गुरुद्वारे के माध्यम से प्रभावित गांव में पहुंचाया जाता है लंगर

इंद्री (मैनपाल कश्यप) । इसे चमत्कार कहा जाए, या फिर वैज्ञानिक कारण। चूंकि मौका देखकर किसी का दिमाग भी चकरा सकता है। एक गुरुद्वारे से कुछ मीटर दूरी पर यमुना नदी साल भर बहती है। मानसून के सीजन में यमुना नदी अपना रौद्र रूप दिखाती है। फिर वह अपने मूल प्रवाह से हटकर हजारों एकड़ जमीन व कई गांवों को अपने आगोश में लेती है। लेकिन चंद मीटर दूर स्थित गुरुद्वारे की चाहरदीवारी को यमुना नदी ने कभी पार नहीं किया। मानों यमुना गुरुग्रंथ साहिब का प्रकाश को देखने आती है। फिर पानी गुरुद्वारे की दहलीज को छूकर आगे बढ़ जाता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है।

 

यमुना नदी करनाल जिले के इंद्री क्षेत्र के कई गांवों को अपने आगोश में ले चुकी है। पर गुरुद्वारे से चंद फीट दूरी से ही यमुना अपना रास्ता बदल लिया। अभी भी इस गुरुद्वारे में करीब 200 लोगों की लंगर सेवा की जा रही है। ये गुरुद्वारा है करनाल के इंद्री में स्तिथ नबियाबाद में , और जो भी इसके आस पास के गांव थे वो पानी के सैलाब की चपेट में आ गए थे। नबियाबाद गुरुद्वारे की नींव 1984 में रखी गई थी, 1986 में बाबा मुखी जगदीश सिंह गुरुद्वारे में आए थे। उन्होंने गुरुद्वारे में भक्ति व सेवा कार्यों को आगे बढ़ाने का काम किया। उस समय यमुना गुरुद्वारे से करीब 3 किलोमीटर दूर उत्तरप्रदेश की सीमा की ओर बहा करती थी। लेकिन 1988 में यमुना ने अपना रास्ता बदलकर हरियाणा की ओर कर लिया। तब यमुना गुरुद्वारे के पास तक आ गई। तब लगा कि पानी गुरुद्वारे के अंदर जा सकता है।

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वर्तमान संत बाबा मुखी मेहर सिंह बताते हैं कि बाबा मुखी जगदीप सिंह ने प्रार्थना की थी कि गुरुद्वारे में गुरुग्रंथ साहिब का प्रकाश है। इसके बाद पानी गुरुद्वारे के अंदर नहीं गया था। उस समय से लेकर आ तक प्रतिदिन रोजाना दो बार लंगर प्रसाद से यमुना नदी में भोग लगाया जाता है। यहां से नदी शांति से बहती है। 12 जुलाई 1999 को बाबा जगदीश सिंह ने चोला त्याग दिया था।

 

पिछले पांच दिन से गुरुद्वारे के चारों ओर पानी ही पानी था , अब पानी उतरने लगा है। गुरुद्वारे के साथ लगते गांव नबियाबाद, फिर गांव जपति छपरा, सै़य्यद छपरा, हलवाना, नगली, कमालपुर गडरियान सहित कई गांव बाढ़ के पानी की चपेट में थे, गुरुद्वारे तक अन्य किसी भी साधन से पहुंचना संभव नहीं है। महज ट्रैक्टर-ट्राली से ही गुरुद्वारे तक पहुंचा जा सकता है। गुरुद्वारे में एक नाव भी है। लेकिन वह तेजी से चलने की स्थिति में नहीं है।

 

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गुरुद्वारे में आसपास के गांवों के वह लोग पहुंच रहे हैं, जिनके घर में चूल्हा जलने की स्थिति नहीं है। ऐसे में प्रतिदिन करीब 200 लोगों की लंगर सेवा चल रही है। यही पर स्वच्छ पेयजल व दूध भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। बाबा मेहर सिंह का कहना है कि खेतों में फसल खराब होने से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। गांवों में भी लोग बेहाल है। ऐसे में उनकी प्रशासन व सरकार से मांग है कि किसानों को जल्द मुआवाज प्रदान करवाया जाए। गांवों में लोगों तक मदद पहुंचाई जाए

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