पंजाब पुलिस ने तरनतारन आरपीजी हमले का मामला सुलझाया, दो नाबालिग हमलावरों समेत छह गिरफ़्तार
चंडीगढ़/तरनतारन, 16 दिसंबर: मुख्यमंत्री भगवंत मान के दिशा-निर्देशों पर असामाजिक तत्वों के विरुद्ध छेड़ी गई मुहिम के हिस्से के तौर पर पंजाब पुलिस ने विदेश से चलाए जा रहे आतंकवादी मॉड्यूल का पर्दाफाश करते हुए तरनतारन रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) हमले के मामले को एक हफ़्ते से भी कम समय में सुलझा लिया है। इस मामले में दो नाबालिगों समेत छह व्यक्तियों को गिरफ़्तार किया गया है।
डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि इस आतंकवादी हमले की साजिश विदेश में रहने वाले वांछित आतंकवादी लखबीर सिंह लंडा,सतबीर सिंह सत्ता और गुरदेव जैसल द्वारा गोइन्दवाल साहिब जेल में बंद अजमीत सिंह की मदद से रची थी।
पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के कब्ज़े से गोली-बारूद समेत दो 32 बोर और एक 30 बोर पिस्तौल, एक हैंड ग्रेनेड पी-86 और अपराध में इस्तेमाल किया गया मोटरसाईकल भी बरामद किया है। गौरतलब है कि हमले को अंजाम देने के लिए सोवीयत युग के 70 एमएम बोर के आर.पी.जी.-26 हथियार का प्रयोग किया गया, जिसको 10 दिसंबर को पहले ही बरामद कर लिया गया था। यह आर.पी.जी-26 हथियार, जिसका प्रयोग अफगानिस्तान में मुजाहिदीन द्वारा किया जाता था, को सरहद पार से मंगवाया गया था।
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डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि तरनतारन पुलिस ने पंजाब पुलिस के काउन्टर इंटेलिजेंस विंग से तालमेल करके तकनीकी और ख़ुफिय़ा जानकारी के आधार पर बारीकी से जांच की। गौरव यादव ने बताया कि हमले में गोपी नंबरदार और गुरलाल गहला का हाथ था, जोकि लंडा और सत्ता के संपर्क में थे।डीजीपी ने खुलासा किया कि दोनों शूटरों ने यूट्यूब और लंडा द्वारा किये गए वीडियो कॉल के जरिये आरपीजी चलाना सीखा।
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पंजाब डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 307, अवैध गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 16 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 3 के अधीन थाना सरहाली में एफआईआर नंबर 187 तारीख़ 09.12.2022 दर्ज है। अगले-पिछले संबंधों की जांच की जा रही है और आतंकवादी मॉड्यूल के बाकी सदस्यों की गिरफ़्तारी और सबूतों के ज़रिये जांच को तर्कपूर्ण निष्कर्ष पर ले जाया जाएगा।